पायलट अभियान से होगा वन क्षेत्र में पड़ने वाले बड़े जलाशयों की डिसेंट्रिंग का कार्य – डीएम

बदलता स्वरूप बलरामपुर। वन क्षेत्र होने के कारण थारू जनजाति क्षेत्र में कनेक्टिविटी एवं अवस्थापना के कार्यों को कराए जाने में समस्या व रुकावट का सामना करना पड़ता है। थारू जनजाति के लोगों का विकास की धारा से दूर ना रहे व उनका अनावश्यक रूप से उत्पीड़न ना हो इसके लिए जिलाधिकारी द्वारा डीएफओ के साथ गहन चर्चा की गई। उन्होंने कहा की थारू जनजाति क्षेत्रों को मूलभूत सुविधाओं विद्युत,पेयजल, कनेक्टिविटी, दूरसंचार आदि सुविधाओं से संतृप्त किया जा सके इसके सड़क निर्माण कार्य एवं अवस्थापना कार्य अत्यंत आवश्यक है। लेकिन वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र ना मिलने के कारण कई विकास कार्य लंबित हैं, जिससे थारू जनजाति के लोग विभिन्न योजनाओं से वंचित है। एक्ट की धाराओं का गहन अध्ययन एवं शासन स्तर से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में तेजी लाए जाने की बात डीएफओ को कहीं। डीएम ने वन क्षेत्र में पड़ने वाले बड़े जलाशयों की डिसेंट्रिंग का कार्य पिछले 30 वर्षों से ना होने पर गहरा असंतोष व्यक्त किया गया। उन्होंने कहा कि जलाशयों एवं बंधो की डिसेंट्रिंग होने के कारण वे अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं, जिससे कि भारी बारिश के कारण पहाड़ी नालों में आने वाला पानी इन जलाशयों व बांधो में ना जाकर बाढ़ का कारण बनता है। जिलाधिकारी ने पायलट अभियान स्वरूप वन क्षेत्र में पड़ने वाले जलाशयों एवं बंधो की डिसेंट्रिंग कराए जाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए शासन स्तर से पत्राचार की कार्यवाही किए जाने जाने में तेजी लाए जाने तथा डिसेंट्रिंग की रूपरेखा तथा एसओपी तैयार किए जाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा की बाढ़ की विभीषिका से बचाव को वन क्षेत्र में पड़ने वाले जलाशयों की डिसेंट्रिंग से दूरगामी प्रभाव होगा तथा अगले 2 वर्षों में इसका अच्छा नतीजा देखने को मिलेगा तथा पहाड़ी नालों से आने वाली बाढ़ तक काफी हद तक निजात मिलेगी।