बदलता स्वरूप अयोध्या। पुरुषोत्तम मास के अवसर पर अशर्फी भवन में भगवान की प्रसन्नता और सभी जीवो के कल्याण के लिए भगवान श्री लक्ष्मी नारायण का अभिषेक सरयू जल, दूध एवं फल के जूस द्वारा वैदिक सुक्त पारायण आगम पद्धति से महाराज श्री ने किया। श्रीमद्भागवत का सस्वर पाठ में 51 विद्वान श्रीमद् भागवत पारायण कर रहे हैं श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सुदर्शन यज्ञ चल रहा है। महाराज जी ने अर्चा विग्रह की विशेषता बताते हुए कहा हम सभी जीव प्रभु के अंश हैं और प्रभु ही हमारे अंशी हैं भगवत सत्ता के बिना हम सभी शून्य है हमें हर एक क्षण प्रभु का चिंतन मनन स्मरण करते रहना चाहिए भागवत कथा का श्रवण कराते हुए कहा जगत पिता परमात्मा को पुत्र रूप में प्राप्त करके नंद बाबा ने ब्राह्मणों को बुलाकर स्वस्तिवाचन कराया, वेद पाठ कराया, गौ दान किया, सभी ब्राह्मणों को वस्त्रालंकार रत्न मणि माणिक्य का दान किया। मां यशोदा ने सभी ब्रजवासियों को उपहार दिए अपने रूप से जो सबको मोहित कर ले वही कृष्ण है कंस के द्वारा भेजी माया रूपी पूतना को भी उत्तम गति प्रदान करते है प्रभु श्री कृष्ण शिक्षा देते हैं व्यक्ति चाहे दुष्ट भाव से ही क्यों नहीं यदि मेरी शरण में आ जाता है तो प्रभु श्री कृष्ण का गुण है शरणागत रक्षक हैं प्रभु नंद बाबा ने गर्गाचार्य जी महाराज को बुलाकर नामकरण संस्कार कराया श्रीकृष्ण को गोद में लेकर गर्गाचार्य जी की समाधि लग गई मां यशोदा ने कहा बाबा आप नामकरण संस्कार करने आए हैं कि सोने गर्गाचार्य जी बोले मां प्रभु दर्शन के लिए ही तो मैंने पुरोहित कर्म को अपनाया भगवान श्री कृष्ण के सभी संस्कार गर्गाचार्य जी यथा समय पूर्ण करते है बचपन से ही प्रभु श्री कृष्ण अनेको राक्षसों का संहार करते हैं प्रभु माखन चोरी लीला के माध्यम से जन्म जन्मांतरों के पाप को चुराकर पुण्य उदित करने हेतु गोपियों के घर जाकर माखन चोरी लीला करते हैं प्रभु गोचारण करने वन में जाते हैं गौ माता की सेवा नित्यप्रति करते हैं गौ माता के महत्व को बताते हुए प्रभु कहते हैं गाय संपूर्ण विश्व की माता है गो सेवा से ही गोविंद प्रसन्न होते हैं यमुना जी के विषाक्त जल को कालिया नाग से बचाने हेतु प्रभु यमुना जी के मध्य में जाकर कालिया नाग से युद्ध करते हैं शरणागति करके कालिया नाग यमुना जी को छोड़कर दूर चला जाता है ब्रज में प्रभु श्री कृष्ण के जन्म लेने से नित्य उत्सव मनाया जाते हैं प्रभु श्री कृष्ण का दर्शन पाकर सभी बृजवासी अपने को धन्य समझते है गिरिराज धरण की लीला के द्वारा प्रभु प्रकृति के पूजन का महत्व बताते हैं प्रभु श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा सभी ब्रज वासियों से कराते हैं इंद्र सामंत मेघों के द्वारा ब्रज में घोर वृष्टि कराते हैं अपने जीवन को धन्य करें।
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