मेनस्ट्रीम मीडिया हुई तेजतर्रार, सेक्युलर पत्रकारों की छटनी ने बदला माहौल ..!

दैनिक बदलता स्वरूप
पंकज कुमार मिश्र की कलम से

न्यूज़ 24 से संदीप चौधरी, एबीवीपी से रुबिका लियाकत और एनडीटीवी से रवीश कुमार का जाना कोई संयोग नहीं बल्कि एक प्रयोग ही है। जिसमें मीडिया पर लग रहे सरकारी गुलाम होने के आरोपों का सच सामने आ सके और काफी हद तक जनता जान चुकी है की मीडिया केवल सच दिखाता है। यह अलग बात है कि ऐसा सच सरकार के लिए प्रोत्साहन और विपक्ष के लिए सरदर्द का काम कर रहा। यूट्यूबर बनकर आप ट्विटर के पत्रकार बन जाएंगे पर जनता के लिए आप शून्य से अधिक कुछ नहीं।कुछ दिनों पूर्व बिग सेक्युलर रवीश कुमार का एक छोटा सा विडियो कई लोगों ने भेजा है जिसमें वे केन्द्र सरकार को मणिपुर दुराचार के मामले में लताड़ रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों ने बताया है कि मूल वीडियो लम्बा है और बाद में हमेशा की तरह उन्होंने मोदी को ही निशाने पर लिया है। हो सकता हो ऐसा ही हो, परन्तु एक बार भी यदि वर्तमान पश्चिम बंगाल या बिहार सरकार के विरुद्ध बोला है तो ताज्जुब की बात है। ऐसी चर्चा है कि सेक्युलर मीडिया अपनी विश्वसनीयता विपक्ष मंडली के अलावा हर वर्ग में खो चुका है। आखिरकार लोगों को समझ में आना शुरू हो गया है कि सीमा – सचिन की प्रेम कहानी और ज्योति मौर्य की बेवफ़ाई देश के सबसे बड़ा मुद्दा नहीं हैं, बड़े मुद्दे राजस्थान और पश्चिम बंगाल में हुए हिंदुओं की हत्याएं और विपक्ष के घोटाले भी मुद्दा बनते है। कोरोना काल में सोशल मीडिया आम आदमी की पकड़ में आ गया है। किसान आन्दोलन और महिला पहलवान आन्दोलन के दौरान युटूबर मीडिया के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ हुईं जो स्वस्फूर्त थीं। रवीश कुमार का एनडीटीवी छोड़कर यूट्यूबर बनना, मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए संजीवनी का काम कर गया। मोदी मेनस्ट्रीम मीडिया को 2014 के चुनाव से पहले ही मुक्त करा चुके थे मगर गुपचुप तरीक़े से विपक्ष कुछ पत्रकारों को खरीद कर सरकार के खिलाफ कर चुका था। सोशल मीडिया के चतुराई से इस्तेमाल करने की शुरूआत भाजपा ने ही की थी लेकिन अब मेन मीडिया के सेक्युलर छटनी से मीडिया बनने की बात बिल्कुल स्पष्ट है और थोड़ा सा भी निष्पक्ष दर्शक सावधान हो गया है ।

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रचारतंत्र की गिद्ध नज़र उस पर पड़ चुकी है। पिछले दिनों पचास टाॅप गैर राजनीतिक यूट्यूबर्स के साथ केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक लम्बी मीटिंग की और अगले पच्चीस साल में देश के स्वर्णिम काल की आहट सुनने और शेयर करने का आह्वान किया। बहुतों को सत्ता से संपर्क होने मात्र से गर्व हो स्वाभाविक है और वे इस काम में अपना कर्त्तव्य समझकर भागीदार बनने को तैयार हो जाएंगे। अपने चैनल्स पर विकास की यात्रा शेयर करने के दौरान सरकारी कार्यों और योजनाओं का ज़िक्र लाजमी तौर पर आयेगा ही। इन्हीं में से छोटी सी संपादित क्लिप्स सोशल मीडिया पर शेयर करने का काम भाजपा का मीडिया सेल करेगा। इससे ना सिर्फ सरकार के काम का प्रचार निष्पक्ष विश्वसनीय सूत्रों के माध्‍यम से होगा, इन यूट्यूबर्स के फौलोवर्स भी बढ़ेंगे अर्थात दोनों के लिये फायदे का सौदा होगा।