ज्वलंत मुद्दों पर पानी फेरने वाले राजनेता बनने की ओर अग्रसर राहुल गांधी ..!

पंकज कुमार मिश्रा की कलम से

राहुल गांधी को चर्चा में रखकर भाजपा हर बार मुद्दो को गौड़ करके बाजी जीत जाती है। देश में जब भी कोई ज्वलंत मुद्दा विरोध की आग पकड़ता है तब तक बीच में राहुल गांधी कूद पड़ते है और जनता से लेकर मीडिया तक उन मुद्दो की लपटों पर रेत डालकर उन्हें बुझा देती है क्योंकि केंद्र में आ जाते है राहुल गांधी जिन्होंने अपने हरकतों से भाजपा सहित महिलाओं को आक्रामक होने का अवसर कई बार अवसर दिया है । उनकी हरकतों को लाइम लाइट में लाकर भाजपा और मीडिया जनता के सामने खूब मजे लेती है और राहुल गांधी भी इस बात को जानते है तभी तो भाजपा उन्हे अपना स्टार प्रचारक बुलाती है । नया मामला फ्लाइंग किस का है जो उन्होंने संसद सदन में उछाला इससे पहले मोदी जी को हग, अमित शाह जी को आंख मारना और प्रियंका गांधी के गालों पर किस को लेकर खूब सुर्खियां बटोर चुके है । लोग अब पूछ रहे की राहुल गांधी जी इतनी अश्लीलता आती कहां से है और क्या इसका प्रदर्शन सार्वजनिक स्थानों पर करना जरूरी है ? जवाब तो देना होगा राहुल गांधी वरना आपकी बहुप्रतीक्षित मुहब्बत की दुकान खुलने से पहले लुट जायेगी क्योंकि वास्तव में वह दुकान नही केवल सेक्युलरिज्म है जिसमे आतंकी बुरहान वाणी , विवादित कन्हैया कुमार , उपद्रवी तिस्ता सीतलवाड़ , सनकी उदित राज, और मुंहफट सुप्रिया श्रीनेत जैसे लोग पलते पोषित होते है जिनका समाज में कोई भूमिका नहीं और ये केवल आपसी सद्भाव बिगाड़ने और चापलूसी कर देश को बदनाम करने का कार्य करते है । अविश्वास प्रस्ताव में राहुल का दिया भाषण आज के दौर में राजनैतिक वक्ताओं के लिए एक मुसीबत है , कैसे जरूरी मुद्दों को भटकाकर परिस्थितियों को असहज किया जा सकता है । कांग्रेसी नरकुम्भों की भीड़ में सत्य के सहारे उछालना बेहद कड़ी चुनौती है । ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद लगभग हर भाषणों में राहुल ने भारत की बेइज्जती की है । यात्रा के दौरान लोगों के द्वारा कही गयी बात को बढ़ा चढ़ा कर दुहराया गया है, उनके विचार से ज्यादा खुद के विचार परोसे हैं । आम लोगों का दुःख, आम लोगो की राय, आम लोगो की सच्चाई को दबा कर उनके द्वारा चुनी हुई सरकार की बुराई और प्रतिनिधियों की कमी को बीच रखा है।

आखिर लोकतंत्र का मतलब क्या है अगर तंत्र तक लोग की बात न पहुंचे। राजनैतिक विश्लेषकों की कयास थी की राहुल इस बार संसद में ज्यादा से ज्यादा मणिपुर पर बोलेंगे और उन्होंने बोला भी ; मगर जो बोला वो राहुल कम बोला और कांग्रेस की अमर्यादित आवाज ज्यादा थी। एक सौ तीस दिन तक चली यात्रा को महज अखबार के पन्नों और ट्विटर के ट्रेंड तक सीमित रखा गया ताकि माहौल बने और चुनावी फायदा हो और हुआ भी , कर्नाटक जीत ने कांग्रेसी युवराज को हौसला दिया ।इतनी भागदौड़ का आउटकम लोकसभा सदन से लोकसभा चुनाव तक निकालने की प्रयास की जानी चाहिए, जो राहुल कर रहे हैं। मणिपुर में आरक्षण के द्वारा लगाई गयी आग के रश्ते में राहुल बड़े रोड़ा बन चुके हैं। राहुल को ज्ञात है की मणिपुर और हरियाणा से भभकी चिंगारी चुनाव आने तक पूरे मुल्क में आग लगा देगी और यही कारण है की सिर्फ मणिपुर और हरियाणा पर बोलने के बजाय पूरे देश में सरकार के विकास के एजेंडे को राहुल ने जमकर कोसा। कन्याकुमारी से कश्मीर तक लोगों के मन में पैदा हुए डर को हथियार बनाया राहुल ने , सच्चाई मणिपुर और हरियाणा में कुछ और है और कांग्रेस कुछ और परोस रही । बंगाल और राजस्थान में हो रही हिंसा के हवाले से क्या कभी कुछ बयां किया ? विरासत में मिले ‘आईडिया ऑफ इंडिया’ के राजनैतिक गद्दी के आधार पर सरकार को भारतीय सेना का मणिपुर पर ज्ञान देने और घटना के लिए दोषी साबित करने के अलावा क्या चर्चा में भाग लिया .? जब इंसान अपने अंदर उपजे अहंकार को खुद नहीं मारता तो अहंकार उसे मार देता है। अहंकार की मृत्यु एक अत्यंत व्यक्तिगत अनुभव है। जिन लोगों ने इसका अनुभव किया है वे ऐसी भावनाएँ साझा करते हैं जैसे कि उन्होंने खुद को खो दिया है या ऐसा महसूस कर रहे हैं जैसे वे ब्रह्मांड के साथ एक हो गए हैं। राहुल के भाषण में राजनीति से ज्यादा पागलपंथी और भारत की बेइज्जती दिखती है, और इस तरह के भाषण से राजनैतिक वक्ता की अपरिपक्वता का अनुमान लगाया जा सकता है। एक आकर्षक लोकतंत्र के लिए ऐसे नेता का होना कितना जरूरी है यह ब्रिटेन और अमेरिका के लोगो को अच्छा लगा होगा पर भारतीय सदन में ऐसे नेताओं के भाषण से पता चलता है ।

उधर अमित शाह ने अपने भाषण के दौरान नरकुम्भों की फौज की चिखम- चिल्ली के बावजूद सौम्यता कायम रखी मगर राहुल की संवेदना इतनी मर गई थी की सदन में बैठी अपनी बुढी माँ के सामने आंख मारना , फ्लाइंग किस उछालना और मरती हुई माँ भारत के हत्यारों के साथ बैठ कर बात करते हुए राहुल खुद को पप्पू साबित होने से रोक न सके। याद होगा की कितनी शालीनता से मोदी ने कभी बंगाल और राजस्थान को बचाने के लिए गुहार लगाई थी और मेरे रोंगटे खड़े हो गए जब राहुल ने कहा की “स्पीकर सर.. इन्होंने मणिपुर में हिंदुस्तान की हत्या की है ” अरे हत्या तो बंगाल और राजस्थान में हुई मणिपुर में तो आरक्षण और वर्चस्व की आग लगी है जो कांग्रेस की देन है।