बदलता स्वरूप गोंडा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नितिन श्रीवास्तव के निर्देश पर मनकापुर के प्राथमिक विद्यालय सुरवार खुर्द, छपिया में लिंग समानता, वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार, प्रीलिटिगेशन स्तर के वैवाहिक वाद व मध्यस्थता के लाभ विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता कर रहे तहसीलदार परशुराम द्वारा शिविर में उपस्थित लोगों को जानकारी देते हुये बताया गया कि आज के शिविर का विषय लिंग समानता एवं महिलाओं के लिये संचालित कल्याणकारी योजनायें है। इसके साथ ही साथ उनके द्वारा लैंगिक समानता पर जानकारी देते हुये बताया गया कि लैंगिक समानता हेतु महिलाओं को विविध संवैधानिक/विधिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। भारत के संविधान के राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धान्तों में लैंगिक समानता के सन्दर्भ में अधिनियम/नियम बनाने हेतु केन्द्र सरकार/राज्य सरकार को आदेषित किया गया है। उक्त के अनुपालन में केन्द्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा लैंगिक समानता पर विभिन्न नियम बनाये गये हैं, जैसे कि बालिकाओं को बालकों के समान शिक्षा का अधिकार, समान कार्य के लिये समान वेतन, बालिकाओं की शिक्षा हेतु आवासीय शैक्षिक संस्थाओं, सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण इत्यादि। इसके अलावा नगरीय एवं पंचायत चुनाव में महिलाओं की भागीदार बढ़ाने हेतु 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। इस प्रकार केन्द्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को पुरूषों के समान विधिक अधिकार प्रदान किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा बालिकाओं के संरक्षण के लिये विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनायें चलायी जा रही हैं। इसके अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा उपस्थित लोगों को वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के बावत उत्तराधिकार एवं भरण पोषण अधिनियम की जानकारी देते हुए बताया गया कि उत्तराधिकार एवं भरण पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20, वृद्धजनों को अपने बच्चों से भरण-पोषण प्राप्त करने का प्रावधान करती है। धारा 23 में न्यायालय के द्वारा भरण पोषण की धनराशि निर्धारित करने के सम्बन्ध में उपबन्ध दिये गये हैं। वर्तमान में न केवल पुत्र बल्कि पुत्रियों पर भी अपने माता-पिता के भरण-पोषण का दायित्व दिया गया है। कोई भी वृद्धजन अपने भरण-पोषण के लिये न्यायालय के समक्ष अपने पुत्र एवं पुत्रियों के विरूद्ध वाद संस्थित कर सकता है।
इसके अतिरिक्त जो वृद्धजन अपने उत्तराधिकारी या रिश्तेदार को उपहार स्वरूप या फिर उनका हक मानते हुए उन्हें अपनी सम्पत्ति अन्तरित कर देते हैं, यदि उनके उत्तराधिकारी या रिश्तेदार द्वारा उनका भरण पोषण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति नही की जाती है तो वह विधि अनुसार अपनी सम्पत्ति वापस प्राप्त कर सकते हैं और सम्पत्ति का अन्तरण रद्द करवा सकते हैं। इसके अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा मध्यस्थता के लाभ एवं प्रीलिटिगेशन स्तर के वैवाहिक वाद के निस्तारण के सम्बन्ध में भी जानकारी प्रदान की गयी। विधिक साक्षरता शिविर के दौरान ग्राम प्रधान, लेखपाल व भारी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।