भगवान शिव जी मानव कल्याण के लिए किया विषपान-श्री धराचार्य जी महाराज

बदलता स्वरूप अयोध्या। प्रसिद्ध पीठ श्री अशर्फी भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा मे व्यास पीठ मैं विराजमान जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए प्रेरणा देते हैं प्रभु को साक्षी मानकर विष पीकर भी भगवान शिव अमर हो जाते हैं और मन में हीन भावना रखकर अमृत पान करने पर भी दैत्य राहु का वध प्रभु करते हैं संसार के सभी संबंध अनित्य हैं और परमात्मा का संबंध ही नित्य है अतः हर एक क्षण प्रभु चिंत न स्मरण भजन में व्यतीत करना ही इस कलिकाल में प्रमुख साधन है परीक्षित सुखदेव जी से कहते हैं प्रभु कोई ऐसी कथा श्रवण कराएं जिससे मेरा मन और भी स्थिर हो जाए सुखदेव जी महाराज पशु रूप में गज और ग्राह की कथा का श्रवण कराते हैं गज के विपत्ति में पड़ जाने पर जब संसार का सभी साथ छूट गया तो गज ने एक कमल पुष्प अपनी सूंड में लेकर प्रभु नारायण को स्मरण किया भगवान बैकुंठ से दौड़कर आते हैं काल रुपी ग्राह का संघार करते हैं शरणागत रक्षक हैं प्रभु भगवान श्री राम के जीवन चरित्रों का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा मनुष्य को मानवता की शिक्षा देने के लिए प्रभु मानव रूप में इस धरा पर आते हैं भगवान श्री राम के जैसा भ्रातृत्व प्रेम यदि हमारे जीवन में आ जाए तो इस घोर कलयुग में भी हम मनुष्य प्रसन्नता पूर्वक रह सकते हैं 100 करोड़ रामायण में भगवान श्री राम जी के जीवन चरित्र का वर्णन है प्रभु के जीवन चरित्र में से एक चरित्र भी अपने अंदर आत्मसात हम जीव कर ले तो निश्चित ही कली का प्रभाव हमारे जीवन में व्याप्त नहीं होगा भक्त जनों की रक्षा के लिए और दुष्टों के विनाश के लिए धर्म की स्थापना के लिए भगवान इस धराधाम में रामकृष्ण आदि रूपों में अवतरित होते हैं महाराज श्री ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म तक की कथा का श्रवण कराया सभी भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण का जन्म महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजनों के साथ नृत्य किया बधाई वितरित किया गया देश के विभिन्न राज्यों से पधारे भक्तजन कथा श्रवण करके आनंदित हो रहे हैं कथा का समय3:00 बजे से शाम 7:00बजे तक है सभी भक्तजन कथा में पधारकर अपने जीवन को धन्य करें।