एमएलसी महाविद्यालय में दो दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन

बदलता स्वरूप बलरामपुर। रिमोट सेंसिंग व जीआईएस तकनीकों के वजूद में आने के बाद सतही जल, भूजल, ग्लेशियरों के अध्ययन में काफी मदद मिली है। इन तकनीकों से जल की गुणवत्ता और जल की मात्रा दोनों से संबंधित आंकड़े प्राप्त कर उनका विश्लेषण करने के साथ ही जलस्रोतों का वैज्ञानिक प्रबंधन किया जा सकता है। यह बातें मंगलवार को एमएलके पीजी कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. एसएस वर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि यह एक तकनीकी है जो प्रस्तीय एवं घटनाओं की सूचनाओं का संवेदक युक्त के द्वारा बिना वास्तु के संपर्क में आए मापन व अभिलेखन करता है। दूर संवेदन के महत्व को बताते हुए बताया कि भूजल, सतही जल व ग्लेशियरों के क्षेत्र में इसका उसकी उपयोगिता है। इस तकनीकी से कृषि विकास के मूल्यांकन विश्लेषण तथा वनस्पति क्षेत्र प्रबंधन व मृदा संसाधन का भी अध्ययन किया जाता है। इससे पहले महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव लेफ्टिनेंट कर्नल आर के मोहन्ता ने अतिथियों का अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न भेंटकर स्वागत किया। भूगोल विभाग की प्रो. रेखा विश्वकर्मा ने भी सेमिनार को संबोधित करते हुए महत्वपूर्ण जानकारी दी। सेमिनार को लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ पीके सिंह, डॉ. एसएन सिंह, डी एन त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन सेमिनार संयोजक डॉ अजहरुद्दीन ने किया। इस अवसर पर डॉ. एमडी शुक्ला, डॉ. अनुज सिंह, डॉ. विनीत, डॉ. शिष्ट पाल, प्रतीक्षी सिंह व धर्मवीर सिंह आदि आदि रहे।