धनतेरस पर जमकर हुई खरीदारी, गुलजार रही दुकानें

बृजेश सिंह/जावेद अहमद
बदलता स्वरूप गोंडा। दीपावली के पर्व से पूर्व धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन बाजारों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है, जो की रात होते ही रोशनी से सराबोर हो जाते हैं। रंग बिरंगी रोशनी से नहाए बाजार त्योहारी सीजन का एहसास कराते हैं और रोशनी के इस पर्व की रौनक को बढ़ाने का काम करते हैं। इस कड़ी में दीपावली के पर्व से पहले आज धनतेरस के दिन बाजारों में बर्तन और धातु से बनी अन्य चीजों की खरीदारी की जाती है, लोग दोपहिया वाहनों से लेकर चौपहिया तक भी खरीदते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन बर्तन या अन्य धातु क्यों खरीदी जाती है। आज धनतेरस का पर्व है दर्शन हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन कुबेर देवता के साथ मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस अवसर पर गोंडा में इलेक्ट्रॉनिक सामानों के अलावा धनतेरस के शुभ अवसर पर शहर मे उमड़ी भीड़ बर्तनों की खरीदारी के साथ साथ खिलौनों, घंड़ियों, कपड़ो, मिठाइयों, के अलावा लक्ष्मी जी, गणेश जी की मूर्तियों की खूब माँग रही। शहर की ज्यादातर सोना, चांदी की दुकानों पर भी खूब भीड़ रही। गणेश लक्ष्मी पूजन के साथ सोना, चांदी, बर्तन में अन्य धातुओं की भी खरीदारी खूब जमकर की गई। धनतेरस के दिन अपने घरों के आसपास अपने प्रमुख रूप से बर्तनों का बाजार लगा हुआ देखा होगा और शाम होते ही बर्तनों की जमकर खरीदारी शुरू हो जाती है। ऐसे में आपको बता दें कि एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन धनवंतरि हाथ में पीतल का कलश लेकर प्रकट हुए थे, ऐसे में इस दिन लोग अधिकांश बर्तनों की खरीदारी करते हैं और इसमें सबसे अधिक पीतल के बर्तनों की खरीदारी करते हैं ऐसी मान्यता है कि इस दिन बर्तनों की खरीदारी करने से वैभव प्राप्त होता है। धनतेरस के दिन से दीपावली का उत्सव प्रारंभ होता है जो भाई दूज तक चलता है। इस दिन भगवान धनवंतरी की उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मालूम हो कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, धनतेरस के देवता भगवान धनवंतरी कौन हैं और धनतेरस के दिन इनकी पूजा का क्या महत्व है, आपको बताते चले कि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धन्वंतरि जी भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक हैं।

मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे भगवान धन्वंतरि की चार भुजाएं हैं ऊपर के एक हाथ में शंख दूसरे में कलश और तीसरे में जड़ी बूटी और चौथे हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ है। आयुर्वेदिक प्रेक्टिस करने वालों और आयुर्वेदिक दवा की बिक्री करने वालों ने आज भगवान धन्वंतरि की जन्मोत्सव को खूब धूमधाम से मनाया। धनतेरस में भगवान धन्वंतरि की पूजा से सेहत और निरोगी शरीर का आशीर्वाद मिलता है। धनतेरस पर झाड़ू और नमक खरीदने की भी परंपरा है कहते हैं कि इस दिन झाड़ू और पीतल के बर्तन खरीदने से मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा प्राप्त होती है। शहर की ज्यादातर दुकानें गुलज़ार हुई। दुकानों पर लगी भीड़ इस बात का एहसास कराती रही कि दीपावली का उत्सव करीब आ गया है जिसकी वजह से पूरे बाजार में रौनक छाई है और बाजारों में तिल रखने की जगह नहीं है, कारोबारी के मुताबिक इस बार का धनतेरस काफी शुभ है और इस बार लोगों ने जमकर खरीदारी की है।