बृजेश सिंह विशेष संवाददाता
बदलता स्वरूप गोंडा। एक तरफ सूबे की सरकार प्रदेश के सभी जनपदों के जिला चिकित्सालय में जनता की सुविधा के लिए तरह-तरह की सुविधाएं मुहैया करा रही है तो वही जनपद गोंडा के जिला चिकित्सालय में निजी एंबुलेंस का बसेरा आए दिन हुआ करता है, जब कोई इसकी शिकायत उच्च अधिकारी से करता है तो दो-चार दिन के लिए निजी एंबुलेंस वहां से हटा दी जाती है, उसके बाद फिर पहले जैसे ही निजी एंबुलेंस गरीब जनता से मुंह मांगा रकम लेने के लिए जिला चिकित्सालय में अपना बसेरा बना लेती हैं और गरीब जनता को जब सरकारी एंबुलेंस नहीं उपलब्ध हो पाती है तब मजबूरी वश निजी एंबुलेंस का सहारा लेती है और नीचे एम्बुलेंस वाले गरीब जनता का मजबूरी का फायदा लेते हुए मुंह मांगा रकम लेते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या निजी एंबुलेंस जिला चिकित्सालय में मौजूद होने की जानकारी जिला चिकित्सालय के अधिकारी को नहीं होती है और यदि जानकारी होती है तो निजी एंबुलेंस पर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है और यदि कार्यवाही की जाती है तो आए दिन निजी एंबुलेंस जिला चिकित्सालय में क्यों मौजूद रहते हैं। अब देखना यह है कि क्या इस खबर से निजी एम्बुलेंसों पर कार्यवाही की जाती है या फिर वर्तमान की तरह निजी एम्बुलेंसों का जिला चिकित्सालय में बसेरा बना रहेगा।
