बृजेश सिंह विशेष संवाददाता
बदलता स्वरूप गोंडा। पूरी दुनिया में एआई का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होने लगा है। एआई से जहां घंटों का काम सैकेंड्स में हो रहा है तो वहीं इसका दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। कई देशों ने एआई के इस्तेमाल पर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दुरुपयोग बड़ी चिंता, इन 7 प्वाइंट्स से समझिए ये कैसे बन सकता है खतरा। दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, आम आदमी इस बात से वाकिफ नहीं है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने उत्पाद बेचने और सरकारें योजनाओं में इसका दुरुपयोग कर सकती हैं। मौजूदा समय एआई चैटबॉट काफी कम वक्त में किसी भी टॉपिक के बारे में लंबी चौड़ी डिटेल बता देते हैं। इंसानों के मुकाबले इस काम में एआई की स्पीड बहुत तेज होती में है, पर विशेषज्ञों की माने तो इसका इस्तेमाल फेक न्यूज और गलत जानकारी जैसे मामलों में खतरनाक हो सकता है, जबकि हैकर्स भी इस इंटेलिजेंस का फायदा उठाकर गड़बड़ियां कर सकते हैं। एआई का सबसे ज्यादा बुरा असर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पड़ सकता है। अमेरिका और चीन में इसके गलत इस्तेमाल की कई घटनाएं भी सामने आई हैं। साल 2019 में अमेरिका में अश्वेत लोगों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में एआई का इस्तेमाल कर पक्षपात करने का मामला सामने आया, जिसके बाद सरकार ने उसमें सुधार कराया। जबकि चीन में जारी सोशल मीडिया को प्रबंधित करने में भी एआई का दुरुपयोग किया गया है। एआई के इस्तेमाल से सरकार के खिलाफ सभी विरोधी पोस्ट्स को अपलोड होते ही हटा दिया गया। कुछ एआई प्लेटफॉर्म्स फोटो और वीडियो भी जनरेट कर सकते हैं, यानी सब कुछ नकली होगा, बस देखने में असली लगेगा और ऐसा फेक न्यूज फैलाने के लिए इस्तेमाल हो सकता है। वास्तविक दिखने वाले फुटेज में लोगों की उपस्थिति और आवाजों में हेरफेर करने के लिए भी एआई के उपयोग पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन फिलहाल भारत में इस संबंध में कोई कानून नहीं बनाया जा रहा, जबकि इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल सामान्य रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता वाले कामों को करने के लिए किया जाता है, जैसे कि निर्णय लेना या पाठ, भाषण या वीडियो या फोटोज़ को पहचानना। एआई कैसे बन सकता है खतरा? डीपफेक के जरिए दुरुपयोग कर सकता है, जो वास्तविक दिखने वाले फुटेज में लोगों की उपस्थिति और आवाज में हेरफेर करता है। इसके जरिए ही डीपफेक बनाए जाते हैं। इसके लिए जरूरी ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं पड़ती।
साइबर अपराध- हैकिंग हमलों को माउंट करने, वित्तीय धोखाधड़ी करने, देश के सुरक्षा ढांचे पर हमला करने और आतंकवाद और कट्टरता को बढ़ावा देने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जा सकता है। गोपनीयता और सामाजिक ग्रेडिंग पर आक्रमण एआई के जरिए सरकारें लोगों के सोशल मीडिया पर पड़े डेटा का इस्तेमाल कर सकती हैं। पुलिस लोगों की फेस आईडी की मदद से नीतियां पेश कर सकती है, जैसा कि चीन जैसे देशों में किया जाता है। सामाजिक हेरफेर- कैम्ब्रिज एनालिटिका और फर्म से जुड़े अन्य लोगों ने साल 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और यूके के ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के परिणामों को प्रभावित करने की कोशिश की थी. इसके लिए 50 मिलियन फेसबुक यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल किया गया था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तेजी और प्रगति से भविष्य़ में नौकरियों को खतरा पैदा हो सकता है।इसकी सुपर इंटेलिजेंट शक्तियों को भविष्य में नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। कई शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि एआई का दुर्भावनापूर्ण उपयोग बड़े पैमाने पर भौतिक और राजनीतिक सुरक्षा के लिए बड़े खतरे पैदा कर सकता है। एआई का इस्तेमाल इंटरनेट पर निगरानी के लिए भी किया जा सकता है।
