‘एक शाम शहीदों के नाम’ आयोजित हुआ सैनिक सम्मान समारोह दिवस

बदलता स्वरूप अयोध्या। अयोध्या में भारतीय सेना के विजय दिवस पर्व पर, ‘एक शाम शहीदों के नाम’ आयोजित हुआ छब्बीसवाँ सैनिक सम्मान समारोह एवं राष्ट्रीय कवि सम्मेलन। इस वर्ष 16 दिसम्बर- 2023 को नाका हनुमानगढ़ी से स्थानांतरित कर अयोध्या स्थित अरण्यपुरम कालोनी में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया।’एक शाम शहीदों के नाम’ आयोजित हुए सैनिक समारोह एवं विराट राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम सेना के वीर वलिदानियों के चित्र पर पुष्पार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ वलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके पश्चात् वलिदानियों की वीरांगनाओं और कारगिल में लड़ने वाले भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि अयोध्या विधायक वेदप्रकाश गुप्त जी रहे तथा अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अयोध्या महानगर संघचालक विक्रमाप्रसाद पाण्डेय जी ने की। सैनिक सम्मान समारोह के उपरान्त कवियों के सम्मान के साथ कवि सम्मेलन आरम्भ हुआ। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि तीन कलश मंदिर पीठाधीश्वर महापौर गिरीशपति त्रिपाठी जी रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता दशरथ गद्दी पीठाधीश्वर महान्त बृजमोहन दास जी ने तथा नाका हनुमानगढ़ी के महान्त रामदास जी ने की । संचालन प्रख्यात संचालक रामकिशोर तिवारी जी ने किया। कवि सम्मेलन का आरंभ जयशंकर द्विवेदी ‘विश्वबंधु’ की वाणी वंदना-जन-जन मन मंदिर में मधुरिम कर वीणा झंकार शारदे।वर्ण शब्द में स्वयं समाकर लो कविता आकार शारदे । से हुआ। कार्यक्रम में इटावा से पधारे प्रख्यात राष्ट्रवादी स्वर लपेटे में नेता जी कार्यक्रम के माध्यम से पूरे देश में धूम मचाने वाले कवि गौरव चौहान ने अपनी राष्ट्रवादी कविताओं से श्रोताओं में राष्ट्रवाद का जागरण किया-भारतवंशी हृदय में शेर सा अभिमान बोलेगा।जवानी की जुबानों पर यही यश गान बोलेगा। फना हो जाएँगे लेकिन कभी खामोश ना होंगे,हमारे खून के कतरों में हिंदुस्तान बोलेगा। लखीमपुर खीरी से पधारे अवधी के चर्चित गीतकार फारुख सरल ने-मिजोरम त्रिपुरा मणिपुर असम बंगाल कैसा है। गरज क्या चीन पाकिस्तान या नेपाल कैसा है। यही बीमार बूढ़े बाप की है आखिरी ख्वाहिश,कि बेटा पूछले आकर पिताजी हाल कैसा है। पढ़कर लोगों का दिल जीत लिया।स्थानीय कवि शैलेंद्र पाण्डेय ‘मासूम’ ने पढ़ा-महमहाता हुआ यह चमन है मेरा।एकता में पिरोया वतन है मेरा। देश हित प्राण अपने निछावर किये,उन शहीदों को शत-शत नमन है मेरा। अयोध्या जनपद के प्रतिष्ठित ग़ज़लकार साहित्य भूषण जमुना प्रसाद उपाध्याय ने अपनी ग़ज़ल कुछ यूँ पढ़ी- नदी के घाट पर भी यदि सियासी लोग बस जाएँ।तो प्यासे होंठ इक-इक बूंद पानी को तरस जाएँ गनीमत है की मौसम पर हुकूमत चल नहीं सकती,नहीं तो सारे बदले उनके खेतों में बरस जाएँ।संचालन कर रहे प्रसिद्ध राष्ट्रवादी स्वर रामकिशोर तिवारी ने राष्ट्र की वंदना में लगाया है तन,
और पावन लहू से है सींचा चमन।
वत्सला मातु की गोद में सो गए,
उन शहीदों के चरणों में शत-शत नमन,पढ़कर श्रोताओं के मन में शहीदों के प्रति सम्मान का भाव जगाया।दिल्ली से पधारे कवि जयशंकर द्विवेदी विश्वबंधु ने प्रेम की राह पर चलकर अहं को मार जाना है।तुम्ही को जितना तुमसे स्वयं को हर जाना है। यहाँ की जान बैठे अब वहाँ की जानना बाकी,हमारी नाव बन जाओ हमें उसे पर जाना है।पढ़कर प्रेम के प्रति समर्पण का भाव प्रदर्शित किया है।डॉ वेद प्रकाश प्रचंड जी ने पढ़ा कि- गरल को मारना है कालिया के फैन से तो, कृष्ण बन नृत्य करो बाँसुरी की ताल पर।रायबरेली से पधारे हास्य के प्रसिद्ध कवि मधुप श्रीवास्तव ‘नरकंकाल’ ने पढ़ा-तुलसी बाबा यदि शूद्रों के विरोध में लिखे जाते तो श्री राम केवट निषाद कोल भील शबरी को गले ना लगाते।जनपद के प्रतिष्ठित आशुकवि और इस कार्यक्रम के संस्थापक कवि अशोक टाटम्बरी ने पढ़ा- होली से मिले ईद तौ समझो बसंत है। आजाद सँग हमीद तौ समझौ बसंत है।टाटम्बरी जननी व जन्मभूमि के लिए,हो जाएँ गर शहीद तौ समझो बसंत।पढ़कर सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के संयोजक प्रसिद्ध समाज सेवी भास्कर शुक्ल द्वारा ने आए हुए श्रोताओं, अतिथियों तथा कवियों का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा अध्यक्ष द्वारा कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई।