महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या। तुलसी उद्यान मंच पर चल रहे हैं संस्कृति मंत्रालय भारत,सरकार संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत आज बुधवार को साठवां दिन के अंतर्गत सायंकाल दो बजे शुरुआत हुई। पहली प्रस्तुति फतेहपुर के आल्हा गायक रामप्रताप पाल अजगवा नदी बेतवा संग्राम लखन विजय की प्रस्तुति बहुत ही शानदार दुसरी प्रस्तुति प्रयागराज के कृष्ण कुमार सत्यार्थ की लोक गायन राम भजन समेत बधाई जन्म सोहर आदि की प्रस्तुति दी इसके पश्चात रंगारंग प्रस्तुति हरियाणा के श्री कामिल एवं दल द्वारा होली फाग होली के दूसरे दिन मनाया जाता है जिस प्रकार मथुरा में लठमार होली होती है उसी प्रकार यहां पर कपड़े का एक लंबी रस्सी जिसे कोडा बोलते हैं उसे बनाकर महिलाएं फाग खेलती है यह नृत्य महिला,पुरुष दोनों खेलते हैं। उनके हाथ में डंडे होते हैं वह खुद को बचाने के लिए डंडे से खुद को अलग करती है बावन गज का लहंगा मोरला तागडी गलसरी मुख्य परिधान है इसके पश्चात उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा आयी नई दिल्ली की अरुणिमा की नृत्य नाटिका प्ले रामायण के विभिन्न प्रसंग पर आधारित विभिन्न भाव को प्रस्तुत के माध्यम से दर्शायी। अगली प्रस्तुति पटना के विवेक शंकर की लोक गायन जुग जुग जिया चारों भैया राम जी की बधाई को गाकर दर्शकों को मंत्र मुक्त कर दिया। इसके पश्चात वाराणसी के सुजीत सरोज तिवारी की लोक गायन राम धुन हे राम हे राम तू ही माता तू ही पिता है”, तेरी चौखट पर चलकर चारों धाम आए हैं राम आए हैं”, दुनिया चलेला ना राम बिना राम ना चले हनुमान के बिना पर ना लगोगे श्री राम के बिना, छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके, राम की मूरत भक्तों से बात करती है इसके बाद शिव भजन बगड़ बम बम लहरी की जोरदार प्रस्तुति दी दर्शन सुनकर झूम उठे और खड़े होकर दोनों हाथ से तालियां बजाया ।
इसके पश्चात दिल्ली की नलनी निगम की लोक गायन “श्री राम स्तुति श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणम”,”जरा आके अयोध्या जी देखो होराम सरयु नहाते मिलेंगे, राम नाम अति मीठा है कोई गाकर देख ले, तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार राघव जी की प्रस्तुति भक्ति रस से ओतप्रोत रही। इसके पश्चात महाराष्ट्र से आए शिवम मंगदम एवं दल द्वारा तलवारबाज़ी तलवार पाजी की कला जिसमें एक साथ तलवार से कई नींबू काटना नारियल फोड़ना और तलवारबाजी की कला की बारी की को दिखाएं अगली प्रस्तुति हिमाचल प्रदेश कांगड़ा से आयी शिवानी नेगी की झंमकड़ा पहाड़ी नृत्य हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जनपद अपनी लोक संस्कृति के लिए विख्यात है विशेष रूप से यहां के लोक नृत्य अत्यंत प्रसिद्ध हैं,जो प्रकृति और परिवेश के अतिरिक्त प्रेम पर आधारित हैं। इन गीतों का स्वर माधुर्य, लय व ताल मंद गति से द्रुत की ओर बढ़ते हुए मन को खूब आनंदित व उत्साहित करता है और थिरकने को मजबूर कर देता है। अगली प्रस्तुति मथुरा से आए बरखा सिंह मथुरा मयूर नृत्य की प्रस्तुति बहुत मनमोहक और शानदार रही।