बदलता स्वरूप अयोध्या । दौसा राजस्थान से पधारे हुए भक्तों द्वारा आयोजित श्री मद भागवत कथा में व्यास पीठ पर विराजमान जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री श्रीधराचार्यजी महाराज ने कहा परीक्षित सुखदेव जी से कहते हैं प्रभु कोई ऐसी कथा श्रवण कराएं जिससे मेरा मन और भी स्थिर हो जाए सुखदेव जी महाराज पशु रूप में गज और ग्राह की कथा का श्रवण कराते हैं गज के विपत्ति में पड़ जाने पर जब संसार का सभी साथ छूट गया तो गज ने एक कमल पुष्प अपनी सूंड में लेकर प्रभु नारायण को स्मरण किया भगवान बैकुंठ से दौड़कर आते हैं काल रुपी ग्रह का संघार करते हैं जीव किसी भी योनि में रहे यदि अनन्य भक्ति परमात्मा के प्रति उसकी हो जाए तो प्रभु अपने वैकुंठ को छोड़कर जीव की रक्षा के लिए दौड़ते हुए आते हैं वामन अवतार की कथा श्रवण कराते हुए महाराज श्री ने कहा राजा बलि ने तो केवल लौकिक संपत्ति का दान प्रभु के लिए किया लेकिन अकारण निधि करुणा सिंधू भगवान श्रीमन्नारायण प्रभु ने अपने को ही राजा बलि के द्वारपाल के रूप में समर्पित कर दिया भगवान श्री राम के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा मनुष्य को मानवता की शिक्षा देने के लिए प्रभु मानव रूप में इस धरा पर आते हैं भगवान श्री राम के जैसा भ्रातृत्व प्रेम यदि हमारे जीवन में आ जाए तो इस घोर कलयुग में भी हम मनुष्य प्रसन्नता पूर्वक रह सकते हैं भक्त जनों की रक्षा के लिए और दुष्टों के विनाश के लिए धर्म की स्थापना के लिए भगवान इस धराधाम में रामकृष्ण आदि रूपों में अवतरित होते हैं महाराज श्री ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म तक की कथा का श्रवण कराया सभी भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण का जन्म महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजनों के साथ नृत्य किया बधाई बाटी गई सभी भक्तजन कथा को सुनकर आनंदित हो रहे हैं कथा का समय शाम 4 बजे से 7 बजे तक है ।
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