भगवान के रूप अलग-अलग है लेकिन भगवान एक ही है: स्वामी जी

आनन्द गुप्ता

बदलता स्वरूप बहराइच। पितृ पक्ष में पित्रों के मोक्ष हेतु हो रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आज तीसरा दिन है। आज भगवान नरसिंह और बावन अवतार को विस्तार से बताया गया।भक्त भाव विभोर हो गए। कहा की भगवान की कृपा जाति,वेष और धर्म आधार पर नहीं बरसती बल्कि भगवान का आप कितना भजन करते हो। कितनी भक्ति करते हो इसके आधार पर भगवान की कृपा बरसती है। भगवान हमेशा भाव के भूखे होते हैं। जो भगवान से प्रेम करते हैं उन्हें कभी भी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान के रूप अलग-अलग है लेकिन भगवान एक है। यह बात श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के तत्वाधान में श्री सिद्धनाथ मठ मंदिर परिसर में पितरों के मोक्ष हेतु चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास वरिष्ठ महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने कही।भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद को दैत्य हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए इस रूप में प्रकट हुए। ये अवतार प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए शाम को भगवान नरसिंह की पूजा होती है।कथा के मुताबिक दैत्य हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था, इसलिए प्रहलाद पर अत्याचार होते थे। कई बार मारने की कोशिश भी की गई। भगवान विष्णु अपने भक्त को बचाने के लिए खंबे से नरसिंह रूप में प्रकट हुए। इनका आधा शरीर सिंह का और आधा इंसान का था। इसके बाद भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को मार दिया।ये अवतार बताता है कि जब पाप बढ़ता है तो उसको खत्म करने हेतु शक्ति के साथ ज्ञान भी जरूर होता है। ज्ञान और शक्ति पाने के लिए भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है।इस बात का ध्यान रखते हुए ही उन्हें पवित्रता और ठंडक के लिए चंदन चढ़ाते हैं।भगवान नरसिंह की विशेष पूजा संध्या के समय की जानी चाहिए। यानी दिन खत्म होने और रात शुरू होने से पहले जो समय होता है उसे संध्याकाल कहा जाता है। पुराणों के अनुसार इसी काल में भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे। भगवान नरसिंह की पूजा में खासतौर से चंदन चढ़ाया जाता है और अभिषेक किया जाता है। ये भगवान विष्णु के रौद्र रूप का अवतार है। इसलिए इनका गुस्सा शांत करने के लिए चंदन चढ़ाया जाता है। जो कि शीतलता देता है। दूध,पंचामृत और पानी से किया गया अभिषेक भी इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए किया जाता है। पूजा के बाद भगवान नरसिंह को ठंडी चीजों का नैवेद्य लगाया जाता है। इनके भोग में ऐसी चीजें ज्यादा होती हैं जो शरीर को ठंडक पहुंचाती हैं। जैसे दही, मक्खन, तरबूज, सत्तू और ग्रीष्म ऋतुफल चढ़ाने से इनको ठंडक मिलती है और इनका गुस्सा शांत रहता है।नरसिंह रूप और बावन स्वरूप वर्णन पर वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी ने कहा की नरसिंह रूप भगवान विष्णु का रौद्र अवतार है। ये दस अवतारों में चौथा है। नरसिंह नाम के ही अनुसार इस अवतार में भगवान का रूप आधा नर यानी मनुष्य का है और आधा शरीर सिंह यानी शेर का है। राक्षस हिरण्यकश्यप ने भगवान की तपस्या कर के चतुराई से वरदान मांगा था। जिसके अनुसार उसे कोई दिन में या रात में, मनुष्य, पशु, पक्षी कोई भी न मार सके। पानी, हवा या धरती पर, किसी भी शस्त्र से उसकी मृत्यु न हो सके।इन सब बातों को ध्यान में रख भगवान ने आधे नर और आधे मनुष्य का रूप लिया। दिन और रात के बीच यानी संध्या के समय, हवा और धरती के बीच यानी अपनी गोद में लेटाकर बिना शस्त्र के उपयोग से यानी अपने ही नाखूनों से हिरण्यकश्यप को मारा। उन्होंने कहा कि आप कितने ही धनवान क्यों न हो और आप कितने ही सुंदर क्यों न हो लेकिन भगवान के लिए भक्ति होना बहुत जरूरी है। भगवान के लिए जाति, वेष और धर्म से कुछ मतलब नहीं है उन्हें तो केवल जो सच्चे मन से पुकारता है वह महत्व रखता हैं। आप कितनी भगवान की भक्ति करते हो और कितना भगवान का भजन करते हो यह सब कुछ भगवान देखते हैं न कि आपकी जाति, वेष और धर्म, जो भगवान को सच्चे मन से पुकारते हैं और भगवान का भजन ज्यादा से ज्यादा करते हैं उन पर भगवान की कृपा बरसती है। जो भगवान को हमेशा समर्पित रहते हैं उन्हें कभी भी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान प्रतीक्षा तो कराते हैं लेकिन भगवान को सच्चे मन से पुकारो तो वह चले आते है, कहा भी गया है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। निस्वार्थ सेवा कोई नहीं करता। कथा व्यास स्वामी गिरी जी महाराज ने कहा कि आज के समय में कोई भी व्यक्ति निस्वार्थ सेवा नहीं करता है। जब तक वह कैमरे पर नजर न आ जाए तो सेवा करना भी अच्छा नहीं समझते हैं। आज कल कोई भी व्यक्ति कोई जो भी कार्य करता है तो वह कैमरे में जरूर आना चाहता है। उन्होंने कहा कि हर किसी को भगवान की सेवा करने का मौका नहीं मिलता है, भगवान स्वयं व्यक्ति का चयन करते है कि इस कार्य के लिए कौन सा व्यक्ति उपयुक्त है। आप तो केवल निमित्त मात्र हैं सब कुछ करने वाला भगवान है।स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज के दौर में भाई-भाई एक दूसरे से ईर्ष्या करते हैं।आप कितना ही अच्छा कार्य कर लो लेकिन आप सभी व्यक्ति को खुश नहीं कर सकते हो। बावन अवतार को लेकर महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने कहा की भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने देवराज इंद्र को स्वर्ग पर पुनः अधिकार प्रदान करने के लिए वामन अवतार लिया। ऋषि कश्यप और देव माता अदिति के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु ने एक बौने ब्रह्मण के रूप में जन्म लिया। इन्हें ही वामन अवतार के नाम से जाना जाता है, ये विष्णु जी का पांचवा अवतार थे। इस अवसर पर जूना अखाड़े की थाना पति महंत रीता गिरी, नागा बाबा ह्रदेश गिरी, नागा साधु उमाकांत गिरी, कोठारी किशोर गिरी जी महाराज, मुख्य यजमान सहित नेपाल तथा गोंडा के शिवनाथ रस्तोगी कथा श्रवण हेतु आए प्रबुद्ध श्रोताओं में वैद्यनाथ रस्तोगी, पुष्पा मिश्र, राधारमन, कोषमा कुमार सहित बहराइच नगर जनमानस की भारी संख्या रही।