इसरार अहमद
बदलता स्वरूप श्रावस्ती। जनपद में अक्सर बाढ़ का तांडव देखने को मिलता है। जिसके चलते हर बार सैकड़ों गांवों और दर्जनों सड़के प्रभावित होती है। इसी के चलते जनपद की जमुनहा तहसील और जिला मुख्यालय भिनगा को जोड़ने वाली टू लेन सड़क पूरी तरह हर साल राप्ती की भेंट चढ़कर सरकार के करोड़ों रुपए राप्ती की आगोश में समा जाते है। हालांकि जिला प्रशासन करोड़ों रुपए खर्च कर इस सड़क पर बनाता तो है लेकिन बाढ़ आते ही प्रसाशन की सारी तैयारियां धरी रहकर यह सड़क गायब हो जाती है।
जानकारी के अनुसार श्रावस्ती जनपद के जमुनहा तहसील के मल्हीपुर और भिनगा जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली टू लेंन सड़क बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी है।पिछले 9 जुलाई को आई भीषण बाढ़ ने राप्ती नदी की धारा को मोड़ कर टू लेन सड़क को अपना निशाना बनाया था। इसके बाद टू लेन सड़क कट गई थी। और दर्जनों गांव इससे प्रभावित हुए थे।वंही राप्ती तो शांत हो गयी लेकिन कटी हुई सड़के जस के तस बनी हुई है।आवागमन पूरी तरीके से प्रभावित हैं। विवश होकर लोग किसानों के खेतों में रास्ता बनाकर जिला मुख्यालय जा रहे हैं। लेकिन अब किसान गेहूं की बुवाई करने वाला है। जिससे यह रास्ता पूरी तरीके से बंद हो जायेगा। जँहा लोग 15 किलोमीटर में जिला मुख्यालय पहुंच जाते थे। अब 60 किलोमीटर का एक लंबा सफर तय कर के जिला मुख्यालय पहुचना होगा। जिसके लिए कुछ समाजसेवी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करने की भी सोच रहे है। समाजसेवी प्रहलाद सिंह कहते हैं। यह टूलेन सड़क के क्षतिग्रस्त हुए महीनो बीत चुके है बाढ़ भी खत्म हो गयी है लेकिन सड़क की मरम्मत नहीं करवाई गयी है, अब सुनने मे आ रहा है कि इस सड़क को और ऊंचा करके बनाया जायेगा। यदि ऐसा हुआ तो हम क्षेत्रवासियो के साथ धरना प्रदर्शन कर इसका विरोध करेंगे क्योंकि सड़क और ऊँची हो जाने से नदी का सारा पानी मल्हीपुर की ओर मुड़ जायेगा जिससे हॉस्पिटल थाना और तहसील सभी डूब जायेंगे अगर सड़क को बचाना है। और बाढ़ से भी निजात पानी है, तो इस सड़क पर कटान वाले स्थान पर ढाल नुमा एप्रोच बनाना होगा। वरना हर साल की तरह आने वाले सालों में भी सरकार के करोड़ों रुपए इसी राप्ती में बह जाएंगे, वहीं समाजसेवी विनय गुप्ता ने भी जिम्मेदार अधिकारियो के मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस विकट समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं निकालना चाहते क्योंकि राप्ती नदी मे आने वाली बाढ़ इन अधिकारियो के लिए कमाई का जरिया बन चुकी है। हर साल बाढ़ मे इस मार्ग पर करोड़ो रूपये खर्च हो जाते है लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है। विनय गुप्ता ने कहा कि यह सड़क कट जाने से आज आम जन को 15 किमी. का सफर 60 किमी. मे तय करके जिला मुख्यालय पहुँचना पड़ता है.लेकिन तहसील व जिले के अधिकारियो को जनता के दुखों की कोई सुध नहीं है।
अब सवाल यह पैदा होता है कि हर साल प्रशासन इस सड़क पर करोड़ों रुपए खर्च करके सड़क बनाता है और सड़क को बचाने के लिये पत्थर, जियो टियूब जैसे तमाम उपाय अपनाता है लेकिन राप्ती मे आने वाली भयंकर बाढ़ सब कुछ पल भर बहा ले जाती है।जिससे सवाल उठता है, कि कंही सरकार के पैसों का दुरुपयोग करके प्रशासन के अधिकारी अपनी जेबें तो नही भर रहे है।