बरगदहन पुरवा में बरात घर की बदहाली से सामुदायिक उपयोग में आ रही अड़चनें

नितिश कुमार तिवारी

बदलता स्वरूप जमुनहा, श्रावस्ती। तहसील जमुनहा के अन्तर्गत ग्राम पंचायत हरदत्तनगर गिरन्ट के बरगदहन पुरवा में बरात घर की स्थिति पिछले कई वर्षों से बदहाल बनी हुई है। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शादी-विवाह और सामुदायिक कार्यों के लिए बरात घर का निर्माण एक उपयोगी कदम माना गया था। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीणों को अपनी जरूरत के मुताबिक बिना किसी शुल्क के एक ऐसा स्थान मिले जहाँ वे सामुदायिक कार्यों, समारोह, मीटिंग और अन्य गतिविधियों को बिना किसी दिक्कत के अंजाम दे सकें। लेकिन इस सराहनीय उद्देश्य के बावजूद, यह बारात घर गाँव में उपयोग में आने के बजाए दुरुपयोग का शिकार बनता जा रहा है। बरगदहन पुरवा का यह बरात घर अब ग्रामीणों के लिए मात्र एक गोदाम बनकर रह गया है, जहाँ भूसा और गोबर के उपले रखे जा रहे हैं। बारात घर को देखते हुए इसकी दयनीय स्थिति स्पष्ट दिखाई देती है। कभी सामुदायिक उपयोग के लिए बनाया गया यह स्थान अब पूरी तरह उपेक्षित पड़ा है। स्थानीय ग्रामीणों ने इसे शादी-विवाह जैसे आयोजनों में उपयोग करने के बजाय भूसा और गोबर के उपलों से भर दिया है। चारों ओर गंदगी और अव्यवस्था का माहौल है, जो बरात घर की स्थिति को और भी बदतर बना देता है। इसके निर्माण के समय जो उद्देश्य रखा गया था, वह धूल में मिल गया है। ग्रामीण बताते हैं कि जब बरात घर का निर्माण हुआ था तो उम्मीद की जा रही थी कि यह गाँव के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनेगा। इसके निर्माण से गाँव वालों में उत्साह था, परंतु समय बीतने के साथ इस भवन की देखरेख की कोई जिम्मेदारी नहीं ली गई। धीरे-धीरे बरात घर पर ग्रामीणों का ध्यान हटता गया और इसे एक साधारण गोदाम का रूप दे दिया गया। अब यह ग्रामीणों के लिए एक ऐसी जगह बन गया है जहाँ भूसा और गोबर के उपलों को रखा जा रहा है। वहीं बरात घर की ऐसी स्थिति का मुख्य कारण ग्रामीणों और प्रशासन की उदासीनता है। निर्माण के बाद से इस भवन की कोई देखरेख नहीं की गई और न ही ग्रामीणों को इसके उचित उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया गया। बरगदहन पुरवा के बरात घर का यह हाल कोई नई बात नहीं है,कई अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसी प्रकार की समस्या देखी जा सकती है। प्रशासन द्वारा बनाए गए कई सामुदायिक भवन, सार्वजनिक उपयोग के बजाय किसी न किसी रूप में बेकार और उपयोगहीन हो गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार बरात घर का सही उपयोग न होने का एक कारण यह भी है कि इसके रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं है। अगर स्थानीय पंचायत या प्रशासन इसे ठीक से देखरेख करता और इसके उपयोग के नियम निर्धारित करता, तो शायद स्थिति कुछ और होती। एक ग्रामीण कहते हैं,कि बरात घर को जब बनाया गया था तो हमने सोचा था कि यह हमें शादी-विवाह और अन्य कार्यक्रमों के लिए एक अच्छा स्थान देगा, पर अब यह सिर्फ भूसे और उपलों से भरा पड़ा है। किसी भी कार्यक्रम के लिए इसका उपयोग संभव नहीं है।