देश के चार राज्यों महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। वोटर्स डेटा अपडेशन के प्रकिया के साथ-साथ चुनाव आयोग द्वारा चारों राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान के साथ-साथ इसकी प्रक्रिया चरम पर है और हरियाणा में गुरुवार को नामांकन का आखिरी दिन था। इन सभी चारों राज्यों कि चुनाव के बाद जल्द ही दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी जल्द विधानसभा चुनाव होने वाले है। हाल ही में सम्पन्न हुए देश के आठ राज्यों के लोकसभा चुनावों में सिर्फ 62.36 प्रतिशत मतदान हुआ था। एक बेहतर व सशक्त भारत के लिए हम सभी को निष्ठा पूर्वक तत्पर रहना होगा। इसके लिए हम अपने मताधिकार प्रयोग कर योगदान दे सकते हैं और हम एक बेहतर व सशक्त अपने देश के लिए वोट देकर अपने स्वतंत्रता सेनानियों और अपनी पिछली पीढ़ियों के संघर्ष का भी सम्मान कर सकते हैं। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे पूर्वजों ने अपनी आज़ादी पाने के लिए कितने संघर्ष किए और हमें उन्हीं की वजह से वोट देने का अधिकार मिला है। यहां यह बताना जरूरी है कि देश के चार राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव के अंतिम मतदान के आंकड़े भी बेहद चिंताजनक है। हरियाणा प्रदेश कि बात करें तो यहां कि अनुमानित जनसंख्या लगभग 3.09 करोड़ है। आंकड़ों के अनुसार 2019 में लोकतंत्र के महापर्व में प्रदेश की 90 सीटों पर अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए 65.57 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया था। वहीं जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म करने साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने से पहले यहां 2014 में आखिरी बार चुनाव हुए थे। यहां कि जनसंख्या 1.56 करोड़ है। आखिरी चुनाव में 49.7 फीसदी मतदान हुआ था। झारखंड पर ग़ौर करें तो यहां कि अनुमानित जनसंख्या लगभग 4.01 करोड़ है और आंकड़ों के अनुसार 2019 की विधानसभा चुनाव में 65.38 फीसदी मतदाताओं ने अपनी मताधिकार का उपयोग किया था और महाराष्ट्र कि बात करें तो यहां कि अनुमानित जनसंख्या लगभग 3.16 करोड़ है और आंकड़ों के अनुसार आखिरी विधानसभा चुनाव में 61.44 फीसदी मतदाताओं ने अपनी मताधिकार का उपयोग किया था।
हम सभी निश्चित रूप से अपने वोट के अधिकार के लिए अपने पूर्वजों के संघर्ष की संदर्भों से परिचित हैं और इसकी महत्ता को भली-भांति समझते है। हम यह भी जानते हैं कि मतदान हमारा अधिकार व कर्तव्य है, लेकिन जब इसका समय आता है तो इसकी महत्ता को दरकिनार कर देते हैं। यही एक ऐसा अधिकार जो हर वर्ग, समाज, गरीब, अमीर सबके लिए समान है। इसकी गरीमा को समझते हुए और अपने मताधिकार का उपयोग कर राष्ट्र को सशक्त बनाने में सदैव तत्पर रहना होगा। साथ ही याद रखना होगा कि मतदान हमारा अधिकार, कर्तव्य ही नहीं हमारी जिम्मेदारी भी है। इसलिए मतदान अवश्य करें और सोच समझ कर करें, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं देश हित में करें। साथ ही मतदान तो अवश्य करें हीं और लोगों को मतदान करने के लिए जागरूक करना भी हमारा कर्तव्य है।
ईं. आर के जायसवाल, समाजसेवी