हिंदी दिवस पर ‘हिंदी हैं हम’ ई-काव्य संकलन का लोकार्पण

पहिचान तो गएन होइहौ बहराइच से आनंद गुप्ता हुए सम्मानित

आकाश जायसवाल
बदलता स्वरूप बहराइच। देश विदेश में नागरी लिपि का प्रचार प्रसार करने वाली प्रतिनिधि संस्था नागरी लिपि परिषद की कर्नाटक इकाई द्वारा हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर विशेष कार्यक्रम आभासी राष्ट्रीय नागरी लिपि संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। ‘नागरी लिपि से हिंदी की राष्ट्रभाषा होने की संभावनाएं’ पर आयोजित इस संगोष्ठी में”हिंदी हैं हम” ई-बुक का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह आभासी माध्यम से आयोजित किया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय नागरी लिपि प्रेमियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं माल्यार्पण कर कवि राधेश्याम “रागी” कुशीनगर ने वीणापाणि वंदना “हंसवाहिनी मां सरस्वती मुझको दर्शन दे” से संगोष्ठी का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात संस्था के संयोजक डॉ सुनील कुमार “परीट” द्वारा उपस्थित विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुण कुमार पासवान, मुख्य अतिथि डॉ. हरिसिंह पाल, प्रमुख वक्ता डॉ. भगवती प्रसाद निदारिया, पूर्व उप निदेशक, केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार,नई दिल्ली, अध्यक्ष प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ( हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन) व उपस्थित साहित्यिक विद्वतजनों का स्वागत किया गया। तदोपरांत “हिंदी हैं हम” साझा काव्य संकलन ई – बुक का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। डॉ. बी.जे. पटेल द्वारा लोकार्पित पुस्तक की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की गई। मुंबई की कवयित्री अंजू पांडेय ने हिंदी भाषा गीत “ऐ वतन मैं हूं बिंदी सजाले मुझे” प्रस्तुत कर वाहवाही व तालियों के रूप में समर्थन प्राप्त किया। मंच संचालिका कवयित्री विनीता लवानिया ने मंचीय समस्त अतिथियों को अपने विचार प्रस्तुत करने का आवाहन किया। संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने हिंदी भाषा और नागरी लिपि को गरिमामयी दर्जा देते हुए कहा कि ये संविधान प्रदत्त हमारा अधिकार और राष्ट्रीय कर्तव्य है। नागरी लिपि परिषद की कर्नाटक इकाई डॉ हरिसिंह पाल के मार्गदर्शन में और डॉ सुनील कुमार परीट के कुशल संयोजन में राष्ट्रीय एकता का सराहनीय कार्य कर रही है। केंद्रीय नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के कार्यालय मंत्री एवं आकाशवाणी के पूर्व सह निदेशक डॉ. अरुण कुमार पासवान ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी भाषा नागरी लिपि की वैज्ञानिकता के कारण हर प्रकार से परिपूर्ण है। हमें राष्ट्रीय हित में इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि और नागरी लिपि परिषद के महामंत्री एवं संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. हरिसिंह पाल ने हिंदी भाषा और नागरी लिपि के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि हमारे देश के महान स्वाधीनता सेनानियों ने नागरी लिपि में लिखी हुई हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया। नागरी लिपि परिषद ने अनेक विदेशी और हिंदीतर भाषाओं के अनेक प्रवेशिकाएं तैयार कर प्रकाशित कराईं हैं। आज सूचना प्रौद्योगिकी के युग में प्रभावी सोशल मीडिया में नागरी लिपि में लिखी हिंदी का उपयोग 2014 के 35 प्रतिशत के मुकाबले 82 प्रतिशत बढ़ गया है। विदेशों में भारतवंशी लेखक प्रचुर मात्रा में नागरी लिपि और हिंदी में साहित्य रचना कर रहे हैं। प्रमुख वक्ता एवं केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व उपनिदेशक डॉ. भगवती प्रसाद निदारिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब भारत अंग्रेजी शासन के अधीन था। उस समय अंग्रेजी सरकार की हुकूमत में भी हमारे देश प्रहरियों ने अडिग होकर हिंदी भाषा और नागरी लिपि के गौरव को अपने संघर्ष के बल जीत हासिल करने के लिए आंदोलन करते रहे। केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने नागरी लिपि और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं और पत्राचार पाठ्यक्रम चलाए हैं। संगोष्ठी संयोजक डॉ सुनील कुमार परीट ने सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता सम्मान पत्र वितरित किए। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए दुबई प्रवासी राधेश्याम रागी ने हिंदी भाषा और नागरी लिपि को राष्ट्रीय जीवन का अविभाज्य अंग बताते हुए कहा कि हमारी हिंदी शनैः शनैः वैश्विक स्तर पर अपनी सरल, सहज एवं बोधगम्य कोम प्रकृति के जरिए विस्तृत रूप प्राप्त कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि दुबई में विभिन्न देशों जैसे सीरिया, नाइजीरिया, सूडान, साउथ अफ्रीका, फिलिपीन, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, रूस और चीन के लोगों ने हिंदी भाषा को मधुरतम भाषा कहा है। रागी ने कहा कि दुबई में दुबई निवासी शेख और अन्य विदेशी हिंदी भाषा बोलते, सीखते और समझते भी हैं। हिंदी भाषा सभी की आवश्यकता बनती जा रही है। रागी ने बताया कि इस प्रकार विदेशों में बोली जाने वाली हिंदी भाषा आने वाले भविष्य में विश्व स्तरीय भाषा कहलाएगी। इस आभासी संगोष्ठी में अमेरिका से सेतुरमन अनंत कृष्णन, मारीशस से सोमदत्त काशीनाथ, चेन्नई से डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन और डॉ गंगा मीनाक्षी, केरल से डॉ सी जे प्रसन्न कुमारी, डिब्रूगढ़, असम से ललित शर्मा, दिल्ली से डॉ हरीश सेठी, डॉ ममता सिंह पाल , दूरदर्शन अधिकारी इसहाक खान, अहमदाबाद, गुजरात से डॉ दिनेश सिंह,नागपुर से डॉ मधु भंभानी, पुणे डॉ रणजीत सिंह, राजस्थान से प्रदीप सिंह चौहान, पटना बिहार से पत्रकार सोनू कुमार, बहराइच से आनन्द गुप्ता(पहिचान तो गएन होइहौ), कोडरमा झारखंड से डॉ अशोक अभिषेक, पुणे से डॉ रणजीत सिंह अरोड़ा और जयवीर सिंह सहित अनेक प्रदेशों के नागरी लिपि प्रेमियों की सकारात्मक उपस्थिति सराहनीय रही।