आनन्द गुप्ता
बदलता स्वरूप बहराइच। जिले के सुप्रसिद्ध धार्मिक महत्व वाले श्री सिद्धनाथ धाम मंदिर में चल रहे पित्रों के मोक्ष हेतु 16 वां सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा में शुकदेव महाराज और राजा परीक्षित जन्म का वर्णन कथा मर्मज्ञ वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज द्वारा किया गया। महामंडलेश्वर जी ने अपने कथा के दौरान 24 अवतारों की भी चर्चा किया। कथा के दौरान कथाव्यास स्वामी रवि गिरी जी के द्वारा संगीतमय भजनों के माध्यम से किया जा रहा है । उन्होंने कहा किप्रत्येक जीव को अपना जीवन भक्ति में रमा कर अपने जीवन में परमात्मा को अवश्य प्रकट करना चाहिए क्योंकि परमात्मा की दिव्य अनुभूति के बिना जीवन 84 योनियों के चक्र में फंसकर रह जाता है जो नरक का द्वार खोलता है। जीव जगत एवं ब्रह्मांड के प्रत्येक मन में धर्म अर्थात सत्य को जागृत करना चाहिए। जिसके आधार पर जीव अपने धर्म एवं कर्म की रक्षा कर अपने जीवन को सर्वोच्च मार्ग पर चल सके।कथा व्यास वरिष्ठ महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी रवि गिरी जी ने प्रभु श्री राधामाधव के मंगलाचरण से कथा में शुकदेव जी और परीक्षित जन्म के संबंध में कहा कि, लोभ को संतोष से मारो, वास्तव में बारह अवतार संतोष रूपी धन का ही स्वरूप है। लोभ और लालच से दूर रहकर कन्हैया हमें जिस स्थिति में रखें उसका उनके प्रति आभार माने यही वराह अवतार का रहस्य है। कथा के दौरान मंदिर परिसर भारी संख्या में भक्त तल्लीन होकर कथा का रसास्वादन करते देखे गए। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के इस श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्री सिद्धनाथ धाम मठ मंदिर के नागा बाबा ह्रदेश गिरी एवं नागा साधु उमाकांत गिरी आजमगढ़ की मुख्य यजमान श्रीमती सुनीता तिवारी, श्री मती पुष्पा मिश्रा, चहलारी नरेश के वंसज आदित्य भान सिंह, शिवम तिवारी, संजय जयसवाल, संदीप साहू, हरजीव अग्रवाल हैप्पी , शैलेन्द्र गुप्ता, राधारमण, राम किशोर गुप्ता सहित अनेक श्रद्घालुगण व महिलाएं अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे थे।भागवत कथा के ततपश्चात आरती व प्रसाद वितरण का जिम्मा कोठारी बाबा किशोरी गिरी जी द्वारा किया जा रहा है।