नगर के तालाबों का मिट रहा अस्तित्व
राजेश सिंह
बदलता स्वरूप गोंडा। जहां एक तरफ बरसात होने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं बरसाती पानी ने नगर पालिका की पोल खोल कर रख दी है। बताते चले कि दिन रात हुई बारिश से किसानों की चेहरे पर मुस्कान की लहर दौड़ गई है, वहीं पानी का निकास न होने के कारण और नालियों के साफ सफाई न होने के कारण तथा तालाबों पर हुए अतिक्रमण के कारण बरसात का पानी नगर वासियों के घरों में भर गया है। बताना उचित होगा कि भारत सरकार और प्रदेश सरकार समय समय पर स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का हर संभव प्रयास कर रही है और स्वच्छता अभियान के लिए बजट भी दे रही है लेकिन विभागीय अधिकारियों और जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण स्वच्छता अभियान कागजों में सिमट कर रह गया है। नगर में पानी निकास के लिए दर्जनों तालाब हुआ करते थे लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण इन तालाबों पर अतिक्रमण करके या तो मकान बना लिए गए हैं या फिर उन्हें बेच दिया गया है। बताते चलें कि लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के विज्ञान परिसर के बगल स्थिति विपता तालाब पर अतिक्रमण करके अतिक्रमणकारियों द्वारा बेच दिया गया, जिस पर आज बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनी हुई है और विपता तालाब का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया है। वही विपता तालाब और दयाराम तालाब पर अतिक्रमणकारियों द्वारा विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से अतिक्रमण करके मकान बना लिया गया है जिससे तालाब का क्षेत्रफल घटता जा रहा है और नगर में पानी निकास की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है अगर समय रहते इन अतिक्रमणकारियों पर जांच कर शिकंजा नहीं कसा गया तो आने वाले दिनों में इन तालाबों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है नगर में बरसात के दिनों में बरसाती पानी निकालने के लिए इन्हीं तालाबों का सहारा लेना पड़ता था, यह तालाब पशु, पक्षी एवं छुट्टा जानवरों के लिए पानी पीने के स्रोत थे और इन तालाबों से सिंघाड़े की खेती भी की जाती थी। आखिर किसकी अनुमति से इन तालाबों पर अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण करके भूखंड का निर्माण कर लिया गया, अगर इन तालाबों की जांच कराई जाए तो बहुत से ऐसे तथ्य सामने आएंगे जो चौंकाने वाले होंगे और कुछ बड़े लोगों के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। अगर समय रहते इन तालाबों का विभागीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया गया होता तो आज नगर वासियों को बरसाती पानी की समस्या से दो-चार नहीं होना पड़ता। इससे यही प्रतीत होता है कि या तो राजनीतिक दबाव में या फिर व्यक्तिगत लाभ के कारण कार्यवाही न करके इन अतिक्रमणकारियों को बचाया जा रहा है। इस प्रकरण को लेकर हमारे संवाददाता ने नगर पालिका के नजूल विभाग से संपर्क किया तो वहां के कर्मचारी रघुनाथ तिवारी ने बताया कि नगर में 6 तालाब है जबकि लोगों का कहना है की नगर में दर्जनों तालाब हुआ करते थे विपता तालाब के विषय में पूछने पर श्री तिवारी ने बताया कि वह खाते की जमीन है और फोन काट दिया।