अजय श्रीवास्तव
बदलता स्वरूप पड़री कृपाल, गोण्डा। महापुरुषों का सत्संग भाग्य से मिलता है। अनमोल मानव तन आत्म कल्याण के लिए ही मिला है। चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी है। सारी आत्माएं देववाणी, आकाशवाणी पर उतारकर लाई गई। मानव ने हिंसा, अपराध, दुष्कर्मों को न छोड़ा तो भविष्य में भारी विपदाओं का सामना करना पड़ेगा।शाकाहारी–सदाचारी बनना व शराब का त्याग समय की आवश्यकता है। यह उद्गार आज विकासखंड पड़री कृपाल के गांव बिशनपुर बैरिया में आयोजित सत्संग सभा में जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के अध्यक्ष संत पंकज ने व्यक्त किए। वह यहां अपनी आध्यात्मिक जन जागरण यात्रा के साथ 69वें पड़ाव पर यहां आए थे। उन्होंने कहा महापुरुषों का सत्संग वह जल है जिसमें कौआ स्नान करके हंस बनकर निकलता है। सत्संग में किसी जाति, धर्म, मजहब व्यक्ति–विशेष की निंदा आलोचना नहीं की जाती है।यहां तो भगवान की भक्ति के प्रति श्रद्धा और भक्ति पैदा की जाती है। सत्संग से ही आत्मा परमात्मा के गूढ़ रहस्य को जाना जा सकता है। जब हम संसार में पैदा हुए तो कोई जाति–बिरादरी लेकर नहीं आया और जब बड़े हुए तो परमात्मा ने जो मन, चित्त,बुद्ध, अहंकार दे रखा है उससे संसार को हमने अपना बना लिया और परमात्मा से किया गया भजन भक्ति का वादा भूल गए और इस पाक–साफ शरीर से बुरे–खोटे कर्म करने लगे। परमात्मा ने मनुष्य को सभी अधिकार देकर स्वतंत्र कर दिया है लेकिन फल भोगने में परतंत्र हैं। जीवो को समझाने चेताने और आत्मकल्याण के लिए संत महापुरुष धरा–धाम पर आते हैं। अबकी बार आपको यह वेशकीमती मनुष्य शरीर मिल गया है। किसी संत सद्गुरु की तलाश करके अपना आत्म कल्याण कर लीजिए अन्यथा नार्को में भारी यातनाएं सहनी पड़ेंगी। हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी ने आवाज लगाई ऐ इंसानों! तुम अपने दीन–ईमान पर वापस आ जाओ। इस मानव मंदिर में बैठकर भगवान की सच्ची पूजा करो। इस जिस्मानी मस्जिद में बैठकर खुदा की सच्ची इबादत करो ताकि आपकी आत्मा नर्कों/दोज़खों में जाने से बच जाए। महाराज जी ने कहा मानव की एक ही जाति मनुष्य है। जातियां कर्म के अनुसार बनी जन्म से नहीं। अभी तक लोगों ने बहुत लड़ाइयां लड़ डाली। उससे नफरत के सिवा क्या मिला? सुकून शांति चाहते हैं तो मानव धर्म का पालन करें। निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे की सेवा करें। समाज को अच्छा चलाने के लिए आंखों में मां, बहन, बेटी की पहचान कायम रखें। समाज में हिंसा, अपराध, दुष्कर्म अशुद्ध खानपान के कारण है इसलिए आप सबसे विनती है कि मांसाहार छोड़कर शाकाहारी बने। जो लोग शाकाहारी हैं। वे बहुत ही अच्छे हैं। जिस शराब के पीने से आंखों से मां, बहन, बेटी की पहचान खत्म हो जाए उसे पीकर अच्छे–बुरे की पहचान कैसे करेंगे? इसलिए लोक–परलोक दोनों बिगाड़ने वाली शराब का परित्याग करें और इस व्यसन से युवा पीढ़ी को भी बचाएं। अपने लगभग 2 घंटे के प्रवचन में उन्होंने अध्यात्मवाद की गहरी व्याख्या की और जीते जी प्रभु प्राप्ति की सरल साधना के लिए नामदान भी दिया तथा सुमिरन, ध्यान, भजन की विधि भी समझाया। इस अवसर पर धर्मराज यादव, आत्माराम वर्मा, ठाकुर प्रसाद तिवारी, संगत गोरखपुर के जयराम मास्टर, मुकेश श्रीवास्तव, रामदयाल यादव, रामदेव, उमेश बनारसी यादव, हीरामन, राजेंद्र आदि सहित संस्था के कई पदाधिकारी प्रबंध समिति एवं सामान्य सभा के सदस्य मौजूद रहे। व्यवस्था में पुलिस प्रशासन का सहयोग रहा। सत्संग के बाद यात्रा अपने अगले पड़ाव विकासखंड पड़री कृपाल के चमन मुनि आश्रम सुभागपुर के लिए प्रस्थान कर गई।
