बदलता स्वरूप कर्नलगंज गोंडा। नगर की ऐतिहासिक श्री रामलीला में रावण का वध एवं वनवास पूरा करके अयोध्या वापस पहुंचे भगवान श्रीराम का राजतिलक व राजगद्दी के कार्यक्रम का मंचन अनूठे ढंग से रामलीला भवन गुड़ाही बाजार में किया गया। लीला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र अयोध्या में आगमन कर प्रकांड विद्वान दशानन की आत्मा की शांति के लिए विधि विधान से हवन पूजन यज्ञ किया। तत्पश्चात श्रीराम का राज्याभिषेक वशिष्ठ मुनि द्वारा राज तिलक करके मंत्रोच्चारण के साथ राजगद्दी पर विराजमान कराया गया। चारों भाइयों सहित माता जानकी, हनुमान, जामवंत व सुग्रीव और लंका के महाराजा विभीषण को विदाई देकर सभी से आग्रह करते हैं कि अपने-अपने राज्य में जाकर प्रजा की सेवा करें और धर्म के मार्ग पर चलकर के प्राणियों में सद्भावना और विश्व कल्याण के लिए राज्य संचालन करें। परंतु हनुमान जी ने प्रभु श्री रामचंद्र जी से कहा कि मुझे अपने ही चरणों में जगह दे दीजिए। इस पर भगवान श्रीराम चंद्र जी ने कहा कि ठीक है तुम पृथ्वी पर रहकर कलयुग के देवता हनुमान के रूप में विराजमान रहोगे। लीला में दिखाया गया कि प्रभु श्रीराम सभी को उपहार देते हैं उसी में हनुमान जी को भी मोती की माला देते हैं जिसे तोड़कर हनुमान जी मोतियों से खेलने लगते हैं हनुमान जी कहते हैं कि जिसमें श्री राम का नाम नहीं वह मेरे किसी काम का नहीं। तो वहीं विभीषण ताना मारते हैं कि क्या आपके हृदय में भी श्री राम हैं। जिसपर हनुमान जी जय श्रीराम का उद्घोष करके अपना सीना चीर देते हैं, जिसमें प्रभु श्रीराम माता जानकी के साथ विराजमान दिखतें हैं। यह दृश्य देख लोग हतप्रभ रह जाते हैं। उसके बाद रघुपति राघव राजा राम के साथ राजगद्दी की लीला संपन्न हुई। साथ ही जय श्रीराम के जयकारे के साथ इस वर्ष की रामलीला का समापन किया गया।
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