महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए सभी लोगों को समय निकाल कर कथा का श्रवण करना चाहिए उक्त विचार आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी ने व्यक्त किये। राधे राधे ग्रूप, हैदराबाद के तत्वावधान में अयोध्या स्थित श्रीरामचरित्रमानस भवन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में शुक्रवार को श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन संबोधित करते हुए कहा कि जीव का कल्याण भगवत भजन से ही संभव है। आचार्य जी ने कहा कि राजा परीक्षित को भी कथा सुनने के बाद मुक्ति मिली थी। पांडव जब स्वर्ग में चले गए तो उन्होंने और भगवान कृष्ण ने राजा बने परीक्षित को एक संदूक कभी भी नहीं खोलने की हिदायत दी। लेकिन, परीक्षित ने उन के जाने के बाद उसे खोला तो उसे उस में एक मुकुट मिला। नवरत्न जड़ित मुकुट को पहनने की इच्छा को वह रोक नहीं पाए और उसे अपने सिर पर रख लिया। इसे पहनने के उपरांत ही उन का मन पाप और शिकार करने का हुआ। यह मुकुट राजा जरासंध का था, जिसने उसे किसानों से वसूले जाने वाले कर से और किसानों की खून पसीने की कमाई से बनवाया था। जंगल में जा कर राजा परीक्षित साधु के गले में सांप डाल देते है जिसे देख ऋषि का पुत्र आग बबूला हो कर ऐसा करने वाले को सात दिन के भीतर मरने का श्राप देते हैं। परीक्षित के राजा होने के बारे में पता चलते ही वह उनसे मिलने महल जाते हैं वहीं परीक्षित भी मुकुट खोलने के बाद अपने किए पाप कार्य को याद करते हैं। श्राप के नहीं टलने की स्थिति में राजा परीक्षित धर्म कर्म के काम करते हैं। साथ ही मुक्ति के लिए आने वाले सात दिनों तक भागवत कथा सुनते हैं। महाराज ने कहा कि भगवान के नाम के सिवाय हर चीज मिलावटी है। केवल भगवान के नाम मे मिलावट नहीं है। भगवान का नाम सदा शुद्ध है। इंसान को हर जगह धोखा हो सकता है। मगर राम, कृष्ण और शिव नाम मे कोई संशय नही है। जिस तरह औषधालय में औषधी मिलती है, वस्त्रालय में वस्त्र मिलते हैं। इसी तरह संसार दुखालय है जहां दुख ही मिलता है। इंसान को असली सुख राम नाम में ही मिल सकता है।
सत्संग से मन शुद्ध होता है। सत्संग से बदल जाती है जीवन की धारा उन्होंने कहा कि संतो का सत्संग करने यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें कोई बीमारी नहीं आएगी, हमारा परिवार खुशहाल रहेगा या फिर हमारा व्यापार अच्छा चल जाएगा, यह तो प्रारब्ध होता है जो इस दुनिया में आया है उसे एक दिन जाना ही है जब लाभ होता है तो हानि भी निश्चित होती है। सत्संग तो जीवन की धारा बदल देता है जिसमें आप ज्ञान और भक्ति की धारा में बहने लगते हैं, लेकिन यहां पर भी यदि कई बार लोग सत्संग करते हैं लेकिन उसका मूल नहीं समझ पाते, जिससे जीवन पर्यंत सत्संग करने के बाद भी अंत में उनको कुछ भी हासिल नहीं होता है।
कथा संयोजक डॉ, चन्द्रकला अग्रवाल, सतीश गुप्ता, आशा गुप्ता, भगतराम गोयल, सुमन लता गोयल, रामप्रकाश अग्रवाल , सुनीता अग्रवाल, जगत नारायण अग्रवाल, राजकुमारी अग्रवाल,सुशील गुप्ता, शीतल गुप्ता, महेश अग्रवाल, बबीता अग्रवाल,अमित अग्रवाल, शीतल अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल (बंजारा हिल्स) उपस्थित थे। भागवत कथा में विजय प्रकाश अग्रवाल, बीना अग्रवाल, रमेश चंद्र गुप्ता, सत्यभामा गुप्ता, प्रेमलता अग्रवाल, नंद किशोर अग्रवाल,मंजू अग्रवाल, अनिता शाह,राजेंद्र अग्रवाल, संतोष अग्रवाल (बगड़िया) , अविनाश गुप्ता, सरिता गुप्ता, ज्ञानेन्द्र अग्रवाल, गायत्री अग्रवाल, वेद प्रकाश अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, श्रीकिशन अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, आशा अग्रवाल, बबीता गुप्ता, सुनीता गुप्ता, कौशल्या गुप्ता, पुष्पा अग्रवाल, अजय गोयल एवं कविता गोयल सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित थे।
