बदलता स्वरूप अयोध्या। जीव परमात्मा का अंश है, उसके अंदर अपार शक्ति रहती है, अगर जीव उससे परमात्मा को समर्पित कर दें तो वह परम पद को प्राप्त कर सकता है, अर्थात आत्मा से परमात्मा को मिलाने का साधन है श्रीमद्भागवत उपरोक्त उद्गार आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी ने व्यक्त किये। राधे राधे ग्रूप हैदराबाद के सौजन्य से अयोध्या स्थित श्रीरामचरित्रमानस भवन मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महोत्सव के पंचम दिवस की कथा में महाराज श्री ने पूतना,शकट-वर्णावर्त, श्रीकृष्ण के नामकरण, माखनचोर, गौशाला एवं श्री गोवर्धन पूजा छप्पन भोग के विषय पर प्रकाश डाला। व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी ने सभी से प्रकृति संरक्षण, जल संरक्षण आदि विषयों पर जागरुक रहकर इनके संरक्षण का महत्व बताया। महाराज ने महारास लीला में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। उन्होंने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उस भक्त का मनोरथ निश्चित रूप से पूरा करेंगे। महाराज श्री ने मथुरा गमन प्रसंग में आगे कहा कि अक्रूर जी भगवान को लेने आए। जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा जाने लगे समस्त ब्रज की गोपियां भगवान कृष्ण के रथ के आगे खड़ी हो गई। कहने लगी हे कन्हैया जब आपको हमें छोड़कर ही जाना था तो हम से प्रेम क्यों किया। कथावाचक ने आगे भगवान कृष्ण और उद्धव के सुंदर प्रसंग का वर्णन किया। कथा वाचक ने कहा एक समय भगवान श्री कृष्ण उदास बैठे थे, तभी उनके मित्र व परम भक्त उद्धव जी उनके पास आए और उनसे पूछा कि हे वासुदेव ऐसी कौन सी बात है, जिससे आप उदास हैं। तब श्री कृष्ण ने कहा कि हमें गोपियों की याद सता रही है। आप गोकुल जाओ और गोपियों को समझाओ कि कृष्ण जल्द गोकुल लौटेंगे। जब उद्धव ने गोपियों से श्रीकृष्ण प्रेम मोह छोड़ने की बात कही तो गोपियों ने कहा कि जिसे प्रेम का ज्ञान नहीं, वह ज्ञानी नहीं हो सकता। गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम देख उद्धव का अभिमान चूर चूर हो गया। कथा में आए श्रद्धालु कथा के प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हो गए। साथ ही श्रोतागण भक्तिरस में झूमने लगे। मानस के सामने प्रतिदिन भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। अवसर परकथा संयोजक डॉ, चन्द्रकला अग्रवाल, सतीश गुप्ता, आशा गुप्ता, भगतराम गोयल, सुमन लता गोयल, रामप्रकाश अग्रवाल , सुनीता अग्रवाल, जगत नारायण अग्रवाल, राजकुमारी अग्रवाल,सुशील गुप्ता, शीतल गुप्ता, महेश अग्रवाल, बबीता अग्रवाल,अमित अग्रवाल, शीतल अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल (बंजारा हिल्स) उपस्थित थे। भागवत कथा में विजय प्रकाश अग्रवाल, बीना अग्रवाल, रमेश चंद्र गुप्ता, सत्यभामा गुप्ता, प्रेमलता अग्रवाल, नंद किशोर अग्रवाल,मंजू अग्रवाल, अनिता शाह,राजेंद्र अग्रवाल, संतोष अग्रवाल (बगड़िया) , अविनाश गुप्ता, सरिता गुप्ता, ज्ञानेन्द्र अग्रवाल, गायत्री अग्रवाल, वेद प्रकाश अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, श्रीकिशन अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, आशा अग्रवाल, बबीता गुप्ता, सुनीता गुप्ता, कौशल्या गुप्ता, पुष्पा अग्रवाल, अजय गोयल एवं कविता गोयल सहित सैकड़ों वैष्णवजन उपस्थित थे।
