हर हिंदू कम से कम तीन बच्चे पैदा करे-गोस्वामी

महेन्द्र कुमार उपाध्याय
बदलता स्वरूप अयोध्या। राधे राधे ग्रूप, हैदराबाद के तत्वावधान में अयोध्या धाम स्थित श्रीरामचरित्रमानस भवन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महोत्सव के छठे दिवस महारास, कंस वध, उद्धव-गोपी संवाद, श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह एवं सुदामा चरित्र पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए आचार्य रमाकांत गोस्वामी महाराज ने कहा मित्र बनाना आसान है किंतु मित्रता निभाना बड़ा मुश्किल है। महाराज जी ने आज की परिस्थितियों के मध्य नजर सनातन धर्म के लोगों को वंश बढ़ाना चाहिए। ताकि, राष्ट्र भी सुरक्षित रहें और सनातनी भी सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि हमारे सनातनी भाई ये सोचकर बैठे हैं कि घर में एक ही बच्चा होना चाहिए, यह चिंता का विषय है अगर आपका वंश बढ़ता है तो भविष्य में आपको भी तकलीफ नहीं होगी और राष्ट्र को भी तकलीफ नहीं होगी। सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए जनसंख्या वृद्धि भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर सनातनी परिवार को कम से कम तीन बच्चे पैदा करना चाहिए। इनमें से एक बच्चे को सनातन धर्म को बचाने के लिए राष्ट्र को जरूर सौंपे। चूंकि इससे सनातन परंपरा मजबूत होगी। हमारे देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की जरूरत नहीं है, बल्कि सनातनी भी है और हिंदू राष्ट्र भी है। महाराज जी ने कहा कि हम दो हमारे दो का नारा देकर केवल हिंदुओं की जबरन नसबंदी की गई जबकि दूसरे वर्ग के लोग इस योजना को नहीं माना यह तुष्टिकरण की राजनीति थी एक साजिश के अंतर्गत हिंदुओं को शिकार बनाया गया परिणाम ये है कि हिन्दुओ की संख्या घटती गई और अन्य कई जनसंख्या बढती गई। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महोत्सव के छठवें दिन महाराज ने महारास लीला, रासलीला में भगवान शंकर का आना एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का सुंदर वर्णन किया। इस अवसर महाराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय कथा का श्रवण कराया गया। कथावाचक आचार्य रमाकांत गोस्वामी ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ।भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कथा मंडप में विवाह का प्रसंग आते ही चारों तरफ से श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर जमकर फूलों की बरसात हुई। महाराज जी ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।महाराज ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान शिव पर खुले मैदान में अपने पूर्व सार्मथ्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पडा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए कथा व्यास ने कहा जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। महाराज ने भगवान शंकर का रासलीला में शामिल होने का विस्तार से वर्णन किया । महाराज ने कहा कि भगवान भक्त का धन, संपत्ति नहीं देखते हैं, वे केवल उसका निस्वार्थ भाव देखते है। इसे देखकर ही आशीर्वाद देते हैं। कथा के अंतिम दिन उन्होंने कृष्ण- सुदामा प्रसंग का वर्णन किया। सुदामा भगवान के भक्त बने। गरीबी होने के बाद भी सुदामा ने भगवान से कभी कुछ नहीं मांगा। यथाशक्ति निस्वार्थ भाव से कृष्ण की भक्ति की। भगवान इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने सुदामा को अपना मित्र बना लिया।
कथा संयोजक डॉ, चन्द्रकला अग्रवाल, सतीश गुप्ता, आशा गुप्ता, भगतराम गोयल, सुमन लता गोयल, रामप्रकाश अग्रवाल , सुनीता अग्रवाल, जगत नारायण अग्रवाल, राजकुमारी अग्रवाल,सुशील गुप्ता, शीतल गुप्ता, महेश अग्रवाल, बबीता अग्रवाल,अमित अग्रवाल, शीतल अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल (बंजारा हिल्स) उपस्थित थे। भागवत कथा में विजय प्रकाश अग्रवाल, बीना अग्रवाल, रमेश चंद्र गुप्ता, सत्यभामा गुप्ता, प्रेमलता अग्रवाल, नंद किशोर अग्रवाल,मंजू अग्रवाल, अनिता शाह,राजेंद्र अग्रवाल, संतोष अग्रवाल (बगड़िया) , अविनाश गुप्ता, सरिता गुप्ता, ज्ञानेन्द्र अग्रवाल, गायत्री अग्रवाल, वेद प्रकाश अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, श्रीकिशन अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, आशा अग्रवाल, बबीता गुप्ता, सुनीता गुप्ता, कौशल्या गुप्ता, पुष्पा अग्रवाल, अजय गोयल एवं कविता गोयल सहित सैकड़ों वैष्णवजन उपस्थित थे।
प्रतिदिन गरीबों में भोजन वितरण किया जा रहा है।