महेन्द्र कुमार उपाध्याय बदलता स्वरूप अयोध्या। आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महोत्सव की पूर्णाहुति पर कथा व्यास आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि सनातन धर्म को आने वाले संकट से बचाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। इतिहास की गलतियों से सबक लेने की जरूरत है क्योंकि जो इतिहास से सबक नहीं लेता, उसके उज्ज्वल भविष्य पर भी ग्रहण लग जाता है। अयोध्या स्थित श्रीरामचरित्रमानस भवन में राधे राधे ग्रूप हैदराबाद के सौजन्य में हो रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महोत्सव में आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने कहा, आज दुनिया की वर्तमान तस्वीर देख रहे होंगे। कुछ तो हमे इन चीजों देखना पड़ेगा। क्या है इन सबका काम? आज भारत के तमाम पड़ोसी जल रहे हैं। मंदिर तोड़े जा रहे हैं। चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है और तब भी हम इतिहास के उन परतों को ढूंढने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, इस प्रकार की स्थिति क्यों पैदा हुई और इसलिए हम याद करें, जो समाज इतिहास की गलतियों से सबक नहीं सीखता है, उसके उज्ज्वल भविष्य पर भी ग्रहण लग जाता है।’महाराज जी ने कहा कि सनातनियों से जातिवाद के भंवरजाल से निकलने की अपील करते हुए बांग्लादेश के मौजूदा हालात का उदाहरण देते हुए कहा कि ब्राह्मण,राजपूत,यादव,मेघवाल,गुर्जर,जाट पर वहां अत्याचार नहीं हो रहे बल्कि सभी सनातनियों (हिंदुओं) को प्रताड़ित किया जा रहा है इसलिए हमें सभी को एकजुट होना पड़ेगा। राधे राधे ग्रूप हैदराबाद के सौजन्य में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ महोत्सव के अंतर्गत सातवे॔ दिवस पर व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने कहा श्रीमद्भागवत हमें मृत्यु के भय से मुक्त करती है मोक्ष का मार्ग बताती है मृत्यु तो सनातन सत्य है सबको आनी ही है लेकिन जो श्रद्धाभाव से भागवत की कथा सुनते हैं उन्हें मृत्यु का भय सता नहीं सकता। इसीलिए सुकदेव महामुनि से राजा परीक्षित ने भागवत की कथा सुनने के बाद कहा कि अब मुझमें मृत्यु का कोई भय नहीं रह गया क्योंकि मैं देह से उपर उठ चुका हूँ और उन्हें शुकदेव जी ने सफल श्रोता बताया था। श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का पठन एवं श्रवण करना मनुष्य जीवन का एक दुर्लभ पुण्य कर्म है , जो भगवान की कृपा से ही मनुष्य कर पाता है ! और यह कथा श्रवण जब संत महापुरषों के पावन सान्निध्य में हो तो परम कल्याण का यह शुभ अवसर ही समझ लें ! शास्त्रोक्त और विधि विधान सहित भागवत कथा का सप्ताह श्रवण करने से मनुष्य का स्वयं के साथ – 2 उनके समस्त ज्ञात – अज्ञात पितृओं का भी उध्दार हो जाता है । महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का मुख्य उद्देश्य श्रध्दालुओं के आत्मिक कल्याण , समस्त पितृ दोष का निवारण , अन्य दैवीय बाधाओं का निवारण एवं सनातन धर्म के शास्त्रोक्त विधि विधान से मानव जीवन को श्रेष्ठ दिशा देने का प्रयत्न करना है । कथा विराम के पश्चात वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा हवन किया जिसमें विश्व शांति की प्रार्थना की गई तत्पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया सैकड़ों वैष्णवजनों प्रसाद ग्रहण किया।कथा संयोजक डॉ, चन्द्रकला अग्रवाल, सतीश गुप्ता, आशा गुप्ता, भगतराम गोयल, सुमन लता गोयल, रामप्रकाश अग्रवाल , सुनीता अग्रवाल, जगत नारायण अग्रवाल, राजकुमारी अग्रवाल,सुशील गुप्ता, शीतल गुप्ता, महेश अग्रवाल, बबीता अग्रवाल,अमित अग्रवाल, शीतल अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल (बंजारा हिल्स) उपस्थित थे। भागवत कथा में विजय प्रकाश अग्रवाल, बीना अग्रवाल, रमेश चंद्र गुप्ता, सत्यभामा गुप्ता, प्रेमलता अग्रवाल, नंद किशोर अग्रवाल,मंजू अग्रवाल, अनिता शाह,राजेंद्र अग्रवाल, संतोष अग्रवाल (बगड़िया) , अविनाश गुप्ता, सरिता गुप्ता, ज्ञानेन्द्र अग्रवाल, गायत्री अग्रवाल, वेद प्रकाश अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, श्रीकिशन अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, आशा अग्रवाल, बबीता गुप्ता, सुनीता गुप्ता, कौशल्या गुप्ता, पुष्पा अग्रवाल, अजय गोयल एवं कविता गोयल सहित सैकड़ों वैष्णवजन उपस्थित थे।
