बढ़ती तकनीकी व प्रगति दौड़ में समाज की अपेक्षाएं

ईं. आर.के.जायसवाल
बदलता स्वरूप दिल्ली। हम सब इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं और हम सभी फक्र के साथ कह सकते हैं कि हम और हमारा समाज नई तकनीकों के साथ सभी ऊंचाईयों को छू रहे हैं। बढ़ती तकनीकीकरण व प्रगति के साथ-साथ कॉरपोरेटों की सोच और दिशा बदलना बेहद जरूरी है क्योंकि हम और हमारे समाज की सारी अपेक्षाएं इन्हीं पर निर्भर करती है। कुछ पिछले सदी के संदर्भों को देखें तो परिणाम आश्चर्यचकित करने वाला है। हम कुछ उदाहरणों पर गौर करते हैं, कोडक कंपनी याद होगा दुनिया की लगभग 85 प्रतिशत फोटोग्राफी कोडक कैमरों से की जाती थी। 1997 में कोडक के पास लगभग 160000 कर्मचारी थे। पिछले कुछ सालों में मोबाइल कैमरों के उदय के साथ कोडक कैमरा कंपनी मार्केट से गायब हो गई है। यहां तक कि कोडक पूरी तरह से दिवालिया हो गई और उसके सभी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। उसी दौरान कई और मशहूर कंपनियों को अपने आप को रोकना पड़ा, जैसे एचएमटी, बजाज स्कूटर, डायनोंरा,
मर्फी, राजदूत, नोकिया, एम्बेसडर इत्यादि। यह सभी कंपनियों में से किसी की भी गुणवत्ता खराब नहीं थी। फिर भी ये कंपनियां बाहर हो गईं, क्योंकि वे समय के साथ खुद को बदल नहीं पाईं। वर्तमान क्षण को देखते हुए आप यह भी सोचें कि अगले दश सालों में दुनिया कितनी बदल सकती है और ऐसा भी हो सकता है कि आज की 70 से 90 प्रतिशत नौकरियां अगले 10 सालों में पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। हम धीरे-धीरे “चौथी औद्योगिक क्रांति” के दौर में प्रवेश कर रहे हैं। आज की मशहूर कंपनियों पर गौर करें तो, उबर सिर्फ़ एक सॉफ्टवेयर कंपनी का नाम है। उनके पास अपनी कोई कार नहीं है। फिर भी आज दुनिया की सबसे बड़ी टैक्सी फेयर कंपनी है। एयर बीएनबी आज दुनिया की सबसे बड़ी होटल कंपनी है। लेकिन मज़ेदार बात यह है कि दुनिया में उनके पास एक भी होटल नहीं है। इसी तरह पेटीएम, ओला कैब, ओयो रूम्स आदि जैसी अनगिनत कंपनियों के उदाहरण दिए जा सकते हैं। आज अमेरिका में नए वकीलों के लिए कोई काम नहीं है, क्योंकि आईबीएम वॉटसन नामक एक कानूनी सॉफ्टवेयर किसी भी नए वकील से कहीं बेहतर वकालत कर सकता है। इस प्रकार अगले दस सालों में अमेरिकियों के पास भी बहुत कम नौकरियां होगी और शेष जो बच जाएगा वे विशेषज्ञ होंगे। वॉटसन सॉफ्टवेयर कैंसर और दूसरी बीमारियों का पता इंसानों से चार गुना ज़्यादा बेहतर से लगा सकता है। कहा जा रहा है कि 2030 तक कंप्यूटर इंटेलिजेंस मानव इंटेलिजेंस से आगे निकल जाएगा। वहीं अगले 20 सालों में आज की 90 प्रतिशत कारें सड़कों पर नहीं दिखेंगी। बची हुई कारें या तो बिजली से चलेंगी या हाइब्रिड कारें होंगी। सड़कें धीरे-धीरे खाली हो जाएंगी। गैसोलीन की खपत कम हो जाएगी और तेल उत्पादक देश धीरे-धीरे दिवालिया हो सकता है। वहीं ऐसा कहा जा रहा कि बिना ड्राइवर के गाड़ी चलाने से दुर्घटनाओं की संख्या 99 प्रतिशत कम हो जाएगी और इसीलिए हो सकता है कार बीमा कंपनीया बंद हो कर बाहर हो जाएं। जब 90 प्रतिशत वाहन सड़क से गायब हो जाएंगे, तो ट्रैफिक पुलिस और पार्किंग कर्मचारियों की क्या ज़रूरत। जरा सोचिए पिछले सिर्फ 10 साल पहले गली-मोहल्लों में एसटीडी बूथ हुआ करते थे। देश में मोबाइल क्रांति के आने के बाद ये सभी एसटीडी बूथ बंद होने को मजबूर हो गए। जो बच गए वो मोबाइल रिचार्ज की दुकानें बन गए। फिर मोबाइल रिचार्ज में ऑनलाइन क्रांति आ गई और लोग घर बैठे ऑनलाइन ही अपने मोबाइल रिचार्ज करने लगे। फिर इन रिचार्ज की दुकानों को बदलना पड़ा। अब ये सिर्फ मोबाइल फोन खरीदने-बेचने और रिपेयर की दुकानें रह गई हैं। लेकिन ये भी बहुत जल्द बदल जाएगा क्योंकि अमेज़न, फ्लिपकार्ट इत्यादि से सीधे मोबाइल फोन की बिक्री बढ़ रही है। वहीं पैसे की परिभाषा भी बदल रही है। शायद इसीलिए कहते हैं कि जो लोग उम्र के साथ नहीं बदल सकते, उम्र उन्हें धरती से हटा देती है। विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है। यहां सिर्फ कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व सीएसआर 2013 अधिनियम हमारे समाज कि अपेक्षाओं पर कितना कारगर होगा यह सोचने बाली बात है। इसलिए बढ़ती तकनीकीकरण व प्रगति के बीच कॉरपोरेट सेक्टर व सरकार को अपनी सोच और दिशा पर विषेश रूप से ध्यान देना होगा ताकि बढ़ती तकनीक की दौड़ में समाज की अपेक्षाओं के साथ-साथ समस्त प्राणी का भरण पोषण हो सके।