बिना परमिट चल रही श्रावस्ती से दिल्ली मुंबई के लिए सैकड़ों बस, फिटनेस भी राम भरोसे

इसरार अहमद

बदलता स्वरूप श्रावस्ती। जनपद मे लग्जरी बस के नाम पर अनफिट बसों का बेरोक-टोक संचालन जारी है। कई के पास तो परमिट तक नहीं है, बावजूद ये मुंबई दिल्ली और अन्य राज्यों तक दौड़ रही हैं। इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। यह ट्रैफिक नियम, मानक और शर्तों को भी पूरा नहीं करती हैं। इसके बावजूद इनका संचालन प्रतिदिन हो रहा है। बसों के संचालन के लिए सरकार ने कई नियम बनाए हैं, लेकिन सभी को ताक पर रखकर निजी संचालक इन बसों का संचालन करा रहे हैं। इनके कागजात की जांच न चलने के समय की जाती और न कहीं रास्ते में होती है। इस कारण बस संचालक बैखौफ होकर अवैध तरीके से बस का संचालन करते है।जानकारी क़े मुताबिक जिले क़े इकौना, गिलौला एवं जमुनहा क्षेत्र क़े लक्ष्मनपुर बैराज और बदला चौराहा से प्रतिदिन दिल्ली, मुंबई, लुधियाना पंजाब सहित अन्य गंतव्यों क़े लिए अनफिट स्लीपर बसों का संचालन हो रहा है। बताया जाता है कि परमिट देने का काम क्षेत्रीय प्राधिकार का है। प्राय: सभी यात्री बस डबल डेकर के रूप में होती है, जिसमें स्लीपर या चेयर लगा रहता है, लेकिन इन बसों को टूरिस्ट परमिट लेकर चलाया जाता है। किसी के पास इन बसों को गंतव्य तक संचालित करने के लिए परमिट नहीं है। जानकार बताते हैं कि कतिपय बस मालिकों ने इंटरस्टेट परमिट ले रखा है, लेकिन उनका परिचालन रूट परमिट के अनुसार नहीं किया जा रहा है। इन बसों मे सुरक्षा के मानकों का ख्याल भी नहीं होता है। इन बसों के संचालन में कई तरह की आवश्यक जीवन उपयोगी उपकरण भी लगाने होते हैं, लेकिन यदि सम्यक जांच की जाय तो इन बसों में जीवन रक्षक उपकरण की कौन कहे किसी-किसी में फर्स्ट एड बॉक्स भी नदारद है। इकौना और गिलौला से बिना नियम कानून से दर्जन भर स्लीपर डबल डेकर बसें दिल्ली, मुंबई और पंजाब व अन्य राज्यों के बड़े शहरों तक जाती हैं। लंबी दूरी की इन बसों में से ज्यादातर में पुरानी बसों में ही मनमाना बदलाव कर डबल डेकर बनाकर चलाई जाती हैं। बस में बदलाव के लिए एमवीआई से मंजूरी भी नहीं ली जाती। इन बसों में क्षमता से अधिक सवारियों को ठूंसकर बैठाया जाता है। लम्बी दूरी की अधिकतर बसों का परिचालन चौक-चौराहों से हो रहा है। टूरिस्ट वीजा होने के कारण स्टैंड से इनका परिचालन नहीं होता है। स्टैंड से स्थायी परमिट वाली बसें ही चलती हैं। हालांकि, अवैध तरीके से दूसरे प्रदेशों की चलाई जा रही बसों के ऑनर का बदला पुलिस चौकी क़े पास भी कार्यालय खुला है, जहां टिकट की बुकिंग की जाती है। जानकारों की माने तो ट्रेन में भीड़ और टिकट नहीं मिलने के कारण प्रवासी मजदूर मजबूरी में इन बसों से सफर करते हैं। बसों से सफर करने वालों को भी पता होता है कि इससे जान-जान जोखिम में रहता है। फिर भी समय से दूसरे प्रदेशों में पहुंचने की मजबूरी में वे बस से यात्रा को विवश होते हैं। इन यात्रियों से मनमाना किराया भी वसूला जाता है।