बदलता स्वरूप अयोध्या। बजरंगबली की प्रधानतम पीठ सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में सागरिया पट्टी के संत बाबा बालमुकुंद दास महाराज काे शिद्दत से याद किया गया। अवसर उनके पुण्यतिथि महाेत्सव का था। जाे मंदिर परिसर में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस माैके पर शुक्रवार को श्रीहनुमत संस्कृत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हनुमानगढ़ी में श्रद्धांजलि सभा आयाेजित हुई। सभा में सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के संत-महंत समेत नागातीताें ने साकेतवासी बाबा बालमुकुंद दास काे श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उनके कृतित्व-व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर साकेतवासी बाबा बालमुकुंद दास महाराज के कृपापात्र शिष्य जयराम दास ने कहा कि उनके गुरूदेव गाै एवं संत सेवी हाेने के साथ-साथ भजनानंदी संत रहे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही उदार रहा। सरलता ताे उनमें देखते ही झलकती थी। उन्होंने सेवा काे ही अपना धर्म माना। आजीवन सेवा ही परमाेधर्मा के मार्ग पर चलते रहे। अपने शिष्य-अनुयायियाें काे सेवा का पाठ पढ़ाया। उन्हें सेवा प्रकल्प के कार्य करने हेतु प्रेरित भी किया। आज गुरूदेव हम सबके बीच नही हैं। लेकिन उनकी यश-कीर्ति सदैव हम लोगों के साथ रहेगी। वहीं सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी गद्दीनशीन श्रीमहंत प्रेमदास महाराज के शिष्य एवं श्रीहनुमत संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. महेश दास ने कहा कि हनुमानगढ़ी में बाबा मंगलदास नाम के उच्चकाेटि पहलवान थे। जाे अपने समय के बहुत बड़े पहलवान रहे। उनके शिष्य बाबा बालमुकुंद दास हुए। जिनकी पुण्यतिथि हम सबने मनाया है। पुण्यतिथि पर बाबा बालमुकुंद दास काे निष्ठापूर्वक याद किया गया। जिसमें हनुमानगढ़ी के संत-महंत, नागातीत सम्मिलित हुए। सभी ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। अंत में बाबा जयराम दास व उनके कृपापात्र शिष्य आशीष दास ने पधारे हुए संत-महंत, नागातीताें का स्वागत-सत्कार कर भेंट विदाई दी।
