नितिश कुमार तिवारीबदलता स्वरूप श्रावस्ती। जनपद में नेपाल से शुरू होकर श्रावस्ती में बहने वाली राप्ती नदी बरसात के मौसम में भयावह रूप धारण कर लेती है। नदी अपने किनारों से सटे तटीय क्षेत्रों की खेती योग्य भूमि, कच्चे-पक्के मकान और ग्रामीण जीवन को तहस-नहस कर देती है। दरअसल भिनगा तहसील के अंतर्गत आने वाला ककरदरी गांव, जो भारत का इकलौता ऐसा गांव है, जो जंगलों और नेपाल सीमा से घिरा हुआ है और नदी के कहर से सबसे ज्यादा प्रभावित है। इस गांव में आने-जाने के लिए लोगों को पगडंडियों का सहारा लेना पड़ता है। बरसात के मौसम में इन पगडंडियों पर चलना बेहद मुश्किल हो जाता है, क्योंकि जंगल के रास्तों में मिट्टी, पेड़-पौधों की झाड़ियां आदि रास्ता रोकती हैं। वहीं गांव से निकलने वाली दो प्रमुख पगडंडियां कस्बों को जोड़ती हैं, जो आगे चलकर एक ही रास्ते में मिल जाती हैं। वहीं गांव के दक्षिण दिशा से निकलने वाले रास्ते को राप्ती नदी इन दिनों अपनी चपेट में लेने के लिए उतावली है। आधा रास्ता पहले ही नदी के कब्जे में आ चुका है, और बाकी हिस्से पर भी नदी धीरे-धीरे अपना शिकंजा कस रही है। बारिश के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने पर ककरदरी गांव के लोगों की चिंता बढ़ जाती है, क्योंकि अगर जलस्तर और बढ़ा, तो पूरा गांव तबाही का शिकार हो सकता है। इस खतरे को देखते हुए, ग्रामीणों ने हाल ही में जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी को प्रार्थना पत्र दिया था। जिलाधिकारी के आदेश पर कटान रोकने के लिए कुछ बचाव कार्य किए गए, लेकिन वर्तमान में बढ़ते जलस्तर के कारण कटान निरंतर जारी है। इस गंभीर स्थिति ने ककरदरी गांव के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है, और ग्रामीण अब सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं ताकि उनके गांव को बचाया जा सके।
