दीपावली की दस्तक होते ही बाज़ारो मे दिखने लगी रंग बिरंगी मिठाइयाँ

इसरार अहमद

बदलता स्वरूप श्रावस्ती। जिले मे जैसे-जैसे दीपावली नजदीक आ रही है वैसे-वैसे रंग बिरंगी मिठाइयो की दुकाने सजने लगी है। जिनमे काफ़ी पैमाने पर रेडीमेड मिठाइयो की भरमार है। रेडीमेड मिठाईयों मे व्यापक पैमाने पर मिलावट की जाती है जो सेहत के लिए बेहद नुकसानदेय साबित होता है। सूत्रो की माने तो रेडीमेड मिठाई 80 से 100 रूपये किलो और खोया पनीर भी 90 से 100 रूपये किलो थोक रेट मे आता है। जो कि बाज़ारो मे बड़े आराम से दो सौ से ढाई सौ रूपये किलो बिक जाता है।जिले के भिनगा और इकौना और गिलौला कस्बे मे यूं तो चंद होटल है लेकिन दीपावली पर जगह-जगह पर मिठाइयो के स्टाल लगाए जाते है। जिसपर सबसे ज्यादा रेडीमेड मिठाई की भरमार रहती है। यह दुकानदार थोक रेट मे सस्ते दामों पर रेडीमेड और मिलावटी मिठाइयो को खरीद कर आसानी से लोगो मे बेचकर मोटा मुनाफा कमाते है। तो चंद ऐसे भी दुकानदार है जो स्वयं तैयार कर शुद्ध मिठाइयो को ही बेचते है। इसी तरह सिरसिया बाजार मे भी है जहाँ पर दीपावली पर्व पर मिलावटी मिठाइयो की भरमार रहती है। लेकिन जिले के बॉर्डर के करीब बसे जमुनहा कस्बे मे तो रेडीमेड मिठाईयों की भरमार है। यहाँ पर तो एक बड़ी दुकान मे बड़ी मात्रा मे रेडीमेड मिठाइयो को तैयार किया जाता है और उसे सस्ते दामों पर दुकानदार थोक मिठाइयो को खरीद कर अपनी दुकानों पर धड़ल्ले से फुटकर मे बेचकर मुनाफा कमाते है। और सबसे ज्यादा इसी मिठाई को लोग स्वास्थ्य के प्रति घातक बताते है। ऐसा नहीं है कि इंडो नेपाल बॉर्डर के करीब बसे इस बाजार मे फूड विभाग की नजर कम पढ़ती हो,यहाँ भी विभाग द्वारा खानापूर्ती की जा चुकी है लेकिन अभी भी बड़े पैमाने पर रेडीमेड मिठाइयो का कारोबार चल रहा है। स्थानीय लोगो ने बताया कि वैसे तो हमेशा दुकानदार मिलावटी मिठाइयो बेचते रहते है लेकिन त्यौहार आते ही यह कारोबार तेज़ी से बढ़ जाता है। जिसपर फूड विभाग को ध्यान देने की आवश्यकता है। नहीं तो भविष्य में लोगों की सेहत इन मिठाइयों से खराब हो जाएगी।