अवधी साहित्य पर शास्त्री महाविद्यालय में हुआ अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन

गोण्डा। श्री लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के साहित्य परिषद, हिंदी विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। ”अवधी साहित्य : पुनर्लेखन की समस्याएं” विषय पर आयोजित व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रो. गंगाप्रसाद शर्मा ”गुणशेखर” ने कहा कि इतिहास लेखन के लिए सबसे जरूरी है – ईमानदारी, निष्पक्षता, व लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का पालन किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि साहित्य का इतिहास लेखन के लिए नेखक को संवेदना के धरातल पर उतरना होगा। अवधी साहित्य का इतिहास लिखे जाने के पूर्व गांव-गांव, नगर-नगर में अवधी के बिखरे साहित्य का संकलन किया जाना और उसके बाद उसका वर्गीकरण और विवेचन करते हुए उसे लिखना होगा। उन्होंने कहा कि अवधी विभाषा उपभाषा या बोली नहीं है, बल्कि वह समृद्ध भाषा है और उसका हजार साल का गौरवपूर्ण इतिहास है।
इसके पूर्व मुख्य अतिथि का स्वागत एवं परिचय हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शैलेंद्रनाथ मिश्र ने देते हुए बताया कि लाल बहादुर शास्त्री अकादमी मसूरी में प्रशासनिक अधिकारियों को शिक्षण-प्रशिक्षण का कार्य करते रहे हैं और कई वर्षों तक विदेशों में हिंदी भाषा-साहित्य और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया है। प्राचार्य प्रो. रवीन्द्रकुमार ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया।
स्वागत करने वालों में प्रो.जयशंकर तिवारी, प्रो. जितेंद्र सिंह, डॉ. रंजन शर्मा, प्रो. संदीप कुमार श्रीवास्तव, अच्युत शुक्ल, डॉ. मुक्ता टंडन व साहित्य परिषद के अध्यक्ष जीतेशकांत पांडेय, काजल ओझा, मधु दूबे, हर्षिता सिंह शामिल रहे।