अमित शरण बॉबी
बदलता स्वरूप फतेहपुर। डॉ0 भीमराव अम्बेडकर राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, की प्राचार्य डॉ0 गुलशन सक्सेना गेम मार्गदर्शन में उर्दू विभाग द्वारा ‘नजीर अकबर आबादी का अहद और बरसात की बहारें’ विषय पर एक दिवसीय विद्यार्थी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। इसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। संगोष्ठी में हिस्सा लेने वाली छात्राओं में बुशरा वारसी ने पहला, कुलसुम और बुशरा सिद्दीकी ने दूसरा और नशरा ने तीसरा स्थान हासिल किया। बी0ए0 द्वितीय वर्ष के छात्राओं के बीच गजल गायन ख्वानी प्रतियोगिता आयोजित की गई। अलीशा ने पहला, जैनब ने दूसरा, जुबैदा ने तीसरा और अलीना निशा ने सांत्वना स्थान हासिल किया। निर्णायक मंडल में न्यायाधीशों की भूमिका डॉ0 मीरा पाल इतिहास विभागाध्यक्ष, डॉ0 चंद्र भूषण विभागाध्यक्ष संगीत और आनंद नाथ, इतिहास विभाग ने निभाई। अलीशा ने मोमिन खान मन की एक खूबसूरत गजल, वह जो हम मंे तुम में फरार था तुम्हें याद हो के ना याद हो, वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि ना याद हो खूबसूरत अंदाज में गायी, जुबेदा खान ने अहमद फराज की मशहूर गजल, सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं, ये बात है तो चलो बात करके देखते हैं दिलकश अन्दाज में प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्ष और कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गुलशन सक्सेना ने छात्राओं भूरी भूरी प्रशंसा की और उनको प्रेरित करते हुए कहा कि ’आप लोगों को पाठ्यक्रम तक ही सीमित रहने की जरूरत नहीं है। विभिन्न भाषाओं का ज्ञान हासिल कीजिए, खूब अध्ययन कीजिए, जितना अधिक अध्ययन करेंगे उतना ही आपके ज्ञान में बढ़ोतरी होगी और आप अच्छे विद्वान और वक्ता बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह के साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्राओं को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर देते हैं।’ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ0 जिया तसनीम ने किया उन्होंने कहा कि ‘नजीर अकबराबादी को लोक कवि के रूप में जाना जाता है वह एक भारतीय कवि थे। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों के त्योहारों, खुशी और दुख पर कविताएँ लिखी हैं। वे सभी की खुशियों और दुखों में समान रूप से शामिल होते थे। संगोष्ठी में पेपर पढ़ने से छात्राओं में बोलने की क्षमता विकसित होती है। उनके भीतर की झिझक दूर हो जाती है और छिपी हुई प्रतिभाएँ उभरती हैं। इसलिए इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर किए जाने चाहिए।’ वो भारतीयों की खुशियों और दुखों में समान भागीदार थे। इतिहास विभाग के आनंद नाथ ने कार्यक्रम में आए अतिथियों को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर डॉ. लक्ष्मीना भारती, डॉ. शकुंतला, डाॅ0 प्रशान्त द्विवेदी, डॉ. श्याम सोनकर, डॉ. शरद चंद राय, रमेश सिंह, डॉ. राजकुमार, सुश्री अनुष्का छौंकर सहित समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहे।
