नित्य गुरु के दर्शन से लोगों के सारे अवगुण दूर हो जाते – इन्द्रदेव सरस्वती जी महाराजमहेन्द्र कुमार उपाध्याय

बदलता स्वरूप अयोध्या धाम । आज क्रांतिकारी युगप्रवर्तक यज्ञपीठाधीश्वर विद्यावाचस्पति संत श्री इन्द्रदेवजी सरस्वती जी महाराज के मुखारविंद से 12 जून, 2024 कनक महल, अयोध्या जी में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा के तृतीय दिवस की कथा का प्रारम्भ श्री गुरुदेव जी ने राम नाम गंगा सहज बही जाए यामे कोई-कोई नहाएइस भजन से किया और बताया कि दुनिया में करोड़ों की संख्या में लोग हैं, लेकिन किसी-किसी को ही श्रीराम ययी के साकेतधाम में कथा के सांनिध्य में राम जी को स्मरण कर रहा, उन्हें जप रहा है । सब का ऐसा सौभाग्य नहीं है । और आगामी 16 जून को गंगा दशहरा का महत्व बताते हुए आयुर्वेदाचार्य गुरुदेव जी ने बताया कि गंगा दशहरे के बाद से आम फल का स्वाद उतरने लगता है । उत्तम परिवारों में भी हठ, क्रोध, श्राप देने का स्वभाव उत्पन्न हो जाता है, बस उसी परिवार से सती मैया थीं और उसका प्रभाव देवी सती पर भी पड़ा । परम् सुख भगवान राम जी के श्री चरणों में है लेकिन सती मैया ने नहीं सुना । गुरु-दीक्षा लेकर यदि उसके यम-नियम नहीं हो पा रहे हैं तो कोई बात नहीं, परन्तु गुरुमुख से निसृत कथा वह सदा सुनते रहता है तो वही सुन-सुनकर वह सुधर जाएगा और उसकी आदत, उसकी प्रवृत्ति बदल जाएगी । गुरुमंत्र का जाप यदि छूट रहा हो बच्चे का, तो उसके माता-पिता का दायित्व है उसे गुरु के नित्य दर्शन कराए और उसे गुरुप्रदत्त नियम-पालन हेतु उत्साहित करें । बड़े घर में जन्म लेने के बाद संस्कारों का अभाव हो जाता है । आज सबसे बड़ी दुर्गति बड़े घर के बच्चों की हो गई है, विचारों और संस्कार के नाम से कुछ भी नहीं बचा अब । कम पैसों वालों के यहाँ समय का अभाव है । नौजवान दिनभर पैसा कमाने के चक्कर में हाल-बेहाल है । नौजवानों में परमार्थ की कमी है, ज़मीन से जुड़कर जीने की कमी हो गई है । लेकिन कुछ धार्मिक, पारमार्थिक बुद्धि वाले लोगों में भी कुलक्षण होते हैं। बुराई तो सबमें होती है, गलती किसी से नहीं होती ऐसा नहीं है, लेकिन गलतियों का सुधार करना सबसे अहम बात है । लेकिन गलती पर गलती करते जाएँगे और कोई बदलाव नहीं करेंगे तो उसका भोग भोगना पड़ेगा । उर्दू शब्द नूरानी चेहरा अर्थात तेजोमय मुख, बाल से भी अधिक पतली नसें होती हैं दिमाग में, कब ये फट जाएँ, इसलिए जल्द से जल्द मुख को तेजोमय बना लो, अर्थात वीर्य की रक्षा कर लो, इसीके अभाव में दुनिया में सब गलतियाँ कर रहे हैं । काम करते-करते भी राम नाम का जप मन में चलता रहेगा तो चेहरा नूरानी, तेजोमय हो जाएगा और काम कब सम्पन्न हो गया यह पता ही नहीं चलेगा । तेरा पल-पल बीता जाएमुख से जप ले नम: शिवाययह भजन गाकर अपनी बात को पुष्ट करते हुए आगे कहते हैं । साधु-पूजा का मन न हो तो मत करो, लेकिन साधु के आगमन के पश्चात उनका अपमान न हो, इस बात का अत्यंत ख्याल रखें। महात्मा-साधु स्वयं मर जाता है लेकिन आपको जिंदा रखता है, उनके पास अपने भक्त के लिए अनेकों वरदान होते हैं । ऐसे साधु के साथ धोखा न करें । जो भी त्यागी, तपस्वी, साधु धरती पर जीवन जी रहे हैं वे भी भीष्म पितामह की तरह एकाध पाप लेकर चलते हैं, जिसके कारण उन्हें कुछ साधु शरीर होते हुए भी भोगना पड़ता है । आप यदि अपने परिवार में परेशान हैं तो परमात्मा ही सबका पति है, उन्हीं को भजिए ।माला तो कर में फिरे,जीभ फिरे मुख माय |मनुवा तो 34 फिरे,ये तो भक्ति न कहाय || इसीलिए भगवान ने कछुआ का अवतार लिया जिससे हमें यह सीख मिलती है कि हमें भी कछुए की तरह भीतर उतर जाना है, अन्यों के केवल गुण भीतर उतारने हैं। हम यदि हमारे गुरु से दूर हो गए तो हमें केवल फिर मरकर भस्म होने योग्य ही बचते हैं ।साथ ही यह भी ज्ञात हो कि प्रतिदिन सामूहिक रूप में कई सारे भक्त यजमान सरयू मैया का गंगा पूजन भी विशेष रूप से गुरुदेव जी के सानिध्य में प्रतिदिन अलग-अलग संपन्न करते हैं । उक्त पूजन में सम्मिलित होने हेतु कोई भी व्यक्ति अपना नाम लिखवा कर उसे पूजा में सम्मिलित हो सकता है यह पूजन 15 जून तक जारी रहेगा।