महेन्द्र कुमार उपाध्याय
बदलता स्वरूप अयोध्या। दौसा राजस्थान से पधारे भक्तों द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस में व्यासपीठ पर विराजमान अनंत श्री विभूषित जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज ने कथा का विस्तार करते हुए कहा 5 वर्षीय अबोध बालक ध्रुव की तरह अविरल भक्ति जब साधक के मन में व्याप्त हो जाती है तब वह साधक भगवान को प्राप्त करता है पापी अजामिल की कथा का श्रवण कराते हुए कहा जन्म से ही पाप कर्म में लीन अजामिल प्रभु भक्ति में लीन संत जनों की कृपा पाकर के भगवान के धाम को प्राप्त करता है बिना गुरु कृपा व संतो के सन्निधि के भक्ती मार्ग की प्राप्ती संभव नहीं है भी वेद वेदांत का परिपक्व फल है श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य जन्म को प्राप्त करके प्रभु के बताए हुए मार्ग का अनुसरण करके सभी साधक भक्तजन सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं हिरण्यकश्यप में घोर तप किया ब्रह्मा जी से वरदान भी प्राप्त किया लेकिन साधक भक्तों के मन में यदि अभिमान व्याप्त हो जाता है तो वह साधक भक्त भी भक्ति मार्ग से अलग हो जाता है और पाप कर्म में लीन हो जाता है हिरण्यकशिपु के पुत्र बालक प्रहलाद मां के गर्भ में ही देवर्षि नारद से नवधा भक्ति का श्रवण करने के प्रभाव से अनेकों यातनाएं पिता से पाकर भी भक्ति मार्ग को नहीं छोड़ते हैं प्रह्लाद जी की दृढ़ भक्ति को देख कर भगवान भक्त प्रहलाद को बचाने नरसिंह रूप धारण करके दुष्ट हिरण्यकशिपु का वध करते हैं सुखदेव जी महाराज से कथा का श्रवण करके राजेंद्र परीक्षित जी का विश्वास और भी दृढ़ हो गया सभी भक्तजन कथा श्रवण कर आनंदित हो रहे हैं।
