रवि गिरी जी का श्याम करन टेकड़ीवाल ने लिया आशीर्वाद
आनन्द गुप्ता
बदलता स्वरूप बहराइच।नगर के पाण्डवकालीन श्री सिद्धनाथ पीठ में हो रही श्रीमद् भगवत कथा में नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सुधा टेकड़ीवाल व श्री मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम लीला कमेटी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्याम करन टेकड़ीवाल ने सप्तम दिवस श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन एकाग्रतापूर्वक सुना और श्री सिद्धनाथ पीठाधीश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया। कथाव्यास वरिष्ठ महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने कथा के दौरान श्रीकृष्ण एवं सुदामा के मित्रता के बारे में कहा कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। पानी परात को हाथ छूवो नाही, नैनन के जल से पग धोये। योगेश्वर श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा जी की आवभगत में इतने विभोर हो गए के द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रो से सुदामा जी का हाल चाल पूछने लगे। उन्होंने कहा कि मित्रता में धन दौलत आड़े नहीं आती। स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर व मंत्रमुग्ध कर दिया ‘स्व दामा यस्य स: सुदामा’ अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। मौके पर श्रद्धालुओं ने ध्यान पूर्वक कथा का श्रवण किया।भागवत ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा का वाचन हुआ तो मौजूद श्रद्धालुओं के आखों से अश्रु बहने लगे।स्वामी जी ने कहा श्री कृष्ण भक्त वत्सल हैं सभी के दिलों में विहार करते हैं जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की कथा के दौरान बीच बीच में मण्डली द्वारा भजन की प्रस्तुति की गई। श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस सुदामा चरित्र की कथा सुनकर एवं कृष्ण एवं सुदामा के मिलन की झांकी का दृष्य देख परिसर में मौजूद समस्त भक्तगण भाव विभोर हो गये। अद्भुत झांकी ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और एक स्वर में राधे- कृष्ण के जयकारों से परिसर गुंजायमान हो उठा। उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि मनुष्य स्वंय को भगवान बनाने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करे क्यों कि भक्ति भाव देख कर जब प्रभु में वात्सल्य जागता है तो वे सब कुछ छोड कर अपने भक्तरूपी संतान के पास दौडे चले आते हैं। गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में जीता है जब कि संत सद्भाव में जीता है। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बडा धन है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ नि:स्वार्थ थी उन्होने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की।लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गये चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सबकुछ प्रदान कर दिया। जैसे ही कथा परिसर में भगवान श्री कृष्ण एवं सुदामा के मिलन का सजीव चित्रण करती हुई झांकी प्रस्तुत की गयी तो पूरा परिसर भाव विभोर हो गया और लोग भगवान श्री कृष्ण की जय-जय कार करने लगे। शुक्रवार को पूर्णाहुति के ततपश्चात भंडारा होगा।इस अवसर पर कोठारी किशोरी गिरी जी, नागा बाबा थानापति ह्रदेश गिरी जी, नागा बाबा थानापति उमाकांत गिरी, आचार्य सिद्धार्थ पांडेय,
सौरभ, प्रखर, किशन, विष्णु, राहुल, विकास, विक्रम, हरीश, बृजेश, कृष्णा गिरी सहित नगर के सभ्रांत जन मौजूद रहे।